‘आत्मदान’ सुप्रसिद्ध उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली का ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित उपन्यास है। कथानायक राज्यवर्द्धन स्थाणीश्वर का राजकुमार है जो अपनी भावप्रवण संवेदनशीलता के कारण न तो युद्ध को सही मानता है और न ही राज्य के विस्तार में उसकी रुचि है। मगर पिता की निरन्तर प्रेरणा और प्रजा की रक्षा के लिए वह हूणों के संहार के लिए युद्धक्षेत्र की तरफ़ प्रयाण करता है और दो वर्षों तक निरन्तर अत्याचारी हूण शासकों का संहार करता है। तभी अचानक उसे पिता के निधन और माता के सती होने का शोक समाचार मिलता है। इस दुखद घटनाक्रम से वह काफ़ी व्यथित हो जाता है और उसे विरक्ति हो जाती है। वह संन्यास लेना चाहता है तथा राज्य व प्रजा का भार अपने अनुज हर्ष पर सौंप देना चाहता है। उसी समय उसे मालवा शासक देवगुप्त द्वारा उसके बहनोई की हत्या और बहन की पीड़ा का दुखद संवाद मिलता है। क्रोध के मारे वह संन्यास का विचार छोड़ देवगुप्त को मज़ा चखाने और अपनी बंदिनी बहन को आततायियों से मुक्त कराने निकल पड़ता है।

उपन्यासकार ने इस पूरे घटनाक्रम को इतनी जीवन्तता से चित्रित किया है कि पढ़ते हुए सब कुछ अपनी आँखों के सामने घटित होते देखने का आभास होता है।

संवेदनशील भाषा और प्रवाहपूर्ण शिल्प के कारण यह उपन्यास बेहद पठनीय है और एक नैतिक आख्यान से पाठकों को रू-ब-रू कराता है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2007
Pages 132p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Narendra Kohli

Author: Narendra Kohli

नरेन्द्र कोहली

जन्म : 6 जनवरी, 1940 को संयुक्त पंजाब के सियालकोट नगर, भारत में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा लाहौर मे आरम्भ हुई और भारत विभाजन के पश्चात् परिवार के जमशेदपुर चले आने पर वहीं आगे बढ़ी।

बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और डाक्टरेट की उपाधि ली। प्रसिद्ध आलोचक डॉ. नगेन्द्र के निर्देशन में ‘हिन्दी उपन्यास : सृजन एवं सिद्धान्त’ विषय पर शोध।

1963 से उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया और वहीं से 1995 में पूर्णकालिक लेखन की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए स्वैच्छिक अवकाश ग्रहण किया।

प्रमुख कृतियाँ : उपन्यास—‘आत्‍मदान’, ‘पुनरारम्‍भ’, ‘आतंक’, ‘आश्रितों का विद्रोह’, ‘साथ सहा गया दु:ख’, ‘मेरा अपना संसार’, ‘दीक्षा’, ‘जंगल की कहानी’, ‘संघर्ष की ओर’, ‘युद्ध’ (दो भाग), ‘अभिज्ञान’, ‘प्रीतिकथा’, ‘बनधन’ (महासमर-1), ‘अधिकार’ (महासमर-2), ‘कर्म’ (महासमर-3), ‘निर्माण’ (तोड़ो कारा तोड़ो-1), ‘साधना’ (तोड़ो कारा तोड़ो-2), ‘धर्म’ (महासमर-4), ‘क्षमा करना जीजी!’, ‘अंतराल’ (महासमर-5), ‘प्रच्छन्न’ (महासमर-6), ‘अभ्युदय’ (दो खंड); कथा-संग्रह—‘परिणति’, ‘कहानी का अभाव’, ‘दृष्टिदेश में एकाएक’, ‘शटल’, ‘नमक का क़ैदी’, ‘नरेन्द्र कोहली की कहानियाँ’, ‘संचित भूख’, ‘समग्र कहानियाँ’ (दो खंड); नाटक—‘शंबूक की हत्या’, ‘निर्णय रुका हुआ’, ‘हत्यारे’, ‘गारे की दीवार’, ‘समग्र नाटक’; व्यंग्य—‘एक और लाल तिकोन’, ‘पाँच एब्सर्ड उपन्यास’, ‘जगाने का अपराध’, ‘मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ’, ‘आधुनिक लड़की की पीड़ा’, ‘त्रासदियाँ’, ‘परेशानियाँ’, ‘आत्मा की पवित्रता’, ‘समग्र व्यंग्य’, ‘मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ’; निबन्ध : ‘नेपथ्य’, ‘माजरा क्या है?’, ‘जहाँ है धर्म वहीं है जय’, ‘किसे जगाऊँ’; बाल साहित्य : ‘गणित का प्रश्न’, ‘आसान रास्ता’, ‘तुम अभी बच्चे हो’, ‘एक दिन मथुरा में’, ‘हम सब का घर’; शोध-समीक्षा : ‘प्रेमचन्द के साहित्य सिद्धान्त’, ‘हिन्‍दी उपन्यास: सृजन और सिद्धान्त’; संस्मरण-पत्र : ‘बाबा नागार्जुन’, ‘प्रतिनाद’।

पुरस्‍कार/सम्‍मान : ‘व्यास सम्मान’; ‘पद्मश्री’; हिन्दी अकादमी, दिल्ली का ‘शलाका सम्मान’, ‘साहित्य सम्मान’, ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’; ‘साहित्य भूषण’; ‘इलाहाबाद नाट्य संघ पुरस्कार’; ‘डॉ. कामिल बुल्के पुरस्कार’; ‘अट्टहास शिखर सम्मान’ आदि।

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