श्री निमाई मुखोपाध्याय काफ़ी दिनों से लिख रहे हैं, पर अनजाने। कविता लिखकर दूसरों को सुनाने के लोभ को रोक पाना बहुत मुश्किल काम है, पर वे इसमें कामयाब हुए हैं। लेकिन कितने दिनों तक अपने को छुपा पाएँगे? एक-दो कविताएँ हाथ से फिसलकर इधर-उधर छप ही गईं।
‘आनेवाली सदी के लिए’—यह नाम ही अपने आप में विशेषार्थक है। श्री निमाई मुखोपाध्याय आधुनिक कविताएँ लिखते हैं, परन्तु आधुनिक कविता की अस्पष्टता उनकी कविता में वर्तमान नहीं है। उनकी भाषा सहज और भाव गम्भीर हैं। इस तरह से उनकी कविताएँ अपवाद हैं। श्री मुखोपाध्याय की कविताओं में पाठक नवीन स्वाद और गन्ध पाएँगे।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Isbn 10 | AWSKL15 |
Publication Year | 1990 |
Pages | 99p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |