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Aamool Kranti Ka Dhwaj-Vahak Bhagatsingh

Author: Ranjit
Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Aamool Kranti Ka Dhwaj-Vahak Bhagatsingh

भगतिंसह को यदि मार्क्सवादी ही कहना हो, तो एक स्वयंचेता या स्वातंत्र्यचेता मार्क्सवादी कहा जा सकता है। रूढ़िवादी मार्क्सवादियों की तरह वे हिंसा को क्रान्ति का अनिवार्य घटक या साधन नहीं मानते। वे स्पष्ट शब्दों में कहते हैं—‘क्रान्ति के लिए सशस्त्र संघर्ष अनिवार्य नहीं है और न ही उसमें व्यक्तिगत प्रतिहिंसा के लिए कोई स्थान है। वह बम और पिस्तौल का सम्प्रदाय नहीं है।’ अन्यत्र वे कहते हैं—‘हिंसा तभी न्यायोचित हो सकती है जब किसी विकट आवश्यकता में उसका सहारा लिया जाए। अहिंसा सभी जन-आन्दोलनों का अनिवार्य सिद्धान्त होना चाहिए।’

आज जब भगतसिंह के समय का बोल्शेविक ढंग समाजवाद मुख्यत: जनवादी मान-मूल्यों की निरन्तर अवहेलनाओं के कारण, समता-स्थापन के नाम पर मनुष्य की मूलभूत स्वतंत्रता के दमन के कारण, ढह चुका है, यह याद दिलाना ज़रूरी लगता है कि स्वतंत्रता उनके लिए कितना महत्त्वपूर्ण मूल्य था। स्वतंत्रता को वे प्रत्येक मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार घोषित करते हैं। क्योंकि वे अराजकतावाद के माध्यम से मार्क्सवाद तक पहुँचे थे, इसलिए स्वतंत्रता के प्रति उनके प्रेम और राजसत्ता के प्रति उनकी घृणा ने उन्हें कहीं भी मार्क्सवादी जड़सूत्रवाद का शिकार नहीं होने दिया।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 131p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Ranjit

Author: Ranjit

डॉ. रणजीत

जन्म : 20 अगस्त 1937; ग्राम—कटार, ज़‍िला—भीलवाड़ा, राजस्थान।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय, जयपुर।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : कविता-संग्रह—‘ये सपने : ये प्रेत’, ‘अभिशप्त आग’, ‘इतिहास का दर्द’, ‘झुलसा हुआ रक्त कमल’; कहानी-संग्रह—‘गर्म लोहा : ठंडे हाथ’, ‘एक प्रतिरावण का जन्म’; सम्‍पादन—‘प्रगतिशील कविता के मील के पत्थर’, ‘धर्म और बर्बरता’, ‘साम्‍प्रदायिकता का ज़हर’, ‘जाति का जंजाल’; अन्य : ‘आज़ादी के परवाने’ (स्‍वतंत्रता-संग्राम के शहीदों की जीवनियाँ)।

सम्मान : ‘इतिहास का दर्द’ उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा ‘विशिष्ट साहित्यकार सम्मान’, बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ‘केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ पुरस्कार’, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘अतिविशिष्ट गौतम बुद्ध सम्मान’।

जर्मन भाषा में प्रकाशित आधुनिक हिन्‍दी कविता के एक प्रतिनिधि संकलन ‘मॉडर्न हिन्‍दी लिरिक’ में पाँच कविताएँ संकलित।

ई-मेल - ranjeet1937@gmail.com

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