रश्मि वाजपेयी कथक में पंडित बिरजू महाराज की प्रथम शिष्या और सुदीक्षित कलाकार हैं। उन्होंने बाद में रायगढ़ घराने के पंडित कार्तिक राम से भी सीखा और वहाँ की बन्दिशों एवं उनके अध्ययन और प्रदर्शन द्वारा उनकी ख़ूबियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने देश-विदेश में अपनी कथक प्रस्तुतियों में कथक के समग्र को संग्रथित रूप से उसकी सौन्दर्यमूलक गीतिपरकता में रखने का जतन किया है। उनका कथक के लालित्य, सूक्ष्मता, लयात्मकता और ओज पर विशेष आग्रह रहा है। कालिदास, जयदेव, विद्यापति, पद्माकर, निराला आदि की कविताओं पर आधरित नृत्य-संरचनाएँ भी उन्होंने की हैं। मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक नवोन्मेष में रश्मि वाजपेयी की महत्त्पूर्ण भूमिका रही है और उन्हीं की पहल पर मध्य प्रदेश सरकार ने रायगढ़ घराने को पुनरुज्जीवित करने के लक्ष्य से भोपाल में चक्रधर नृत्य केन्द्र की स्थापना की। भोपाल में कथक पर व्यापक और सघन विचार करने के लिए विख्यात ‘कथक प्रसंग’ की शृंखला भी उन्होंने ही आयोजित कराई। उन्होंने ‘द इंडिया मैगज़ीन’, ‘पूर्वग्रह’, ‘आधार’, ‘नई दुनिया’, ‘कलावार्ता’, ‘संगना’, ‘रंग-प्रसंग’ आदि पत्रिकाओं में कथक पर लिखा है और उसकी आलोचना के लिए हिन्दी में अलग साफ़-सुथरी भाषा विकसित करने की कोशिश की है। उनके द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘कथक प्रसंग’ कथक के विशेषज्ञों और कलाकारों द्वारा विचार और विश्लेषण का बहुचर्चित और प्रशंसित संकलन है, जिसमें कथक के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, शिल्प, शैली, घरानों आदि को समग्रता में देखने का यत्न है। उन्हें ‘श्रीराम भारतीय कला केन्द्र’, ‘प्रयाग संगीत समिति’, ‘नेशनल प्रेस इंडिया’ आदि से सम्मान मिले हैं। हाल ही में रंगमंच के क्षेत्र में अपने काम के लिए ‘संसप्तक’ द्वारा ‘वसुन्धरा सम्मान’ से सम्मानित हुई हैं। इन दिनों वे दिल्ली में ‘नटरंग प्रतिष्ठान’ की निदेशक हैं और ‘नटरंग’ पत्रिका का सम्पादन भी करती हैं।