Swatantrata Senani Krantikari Baikunth Sukul Ka Mukadama

Revolutionary Literature,आज़ादी का अमृत महोत्सव
Translator: Aditya Narayan Singh
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Swatantrata Senani Krantikari Baikunth Sukul Ka Mukadama

बिहार के ग्राम जलालपुर, जिला मुजफ्फरपुर (वर्तमान वैशाली) में जन्मे बैकुंठ सुकुल उन स्वतंत्रता सेनानियों में थे, जो गुमनामी के अंधेरों में रहे हैं। उन्हें मुजफ्फरपुर के सत्र न्यायाधीश ने भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के प्रसिद्ध मुकदमे के इकबालिया गवाह फणीन्द्रनाथ घोष की हत्या के आरोप में फाँसी की सजा सुनाई थी। बंगाल और लाहौर सहित विभिन्न जगहों के 91 सरकारी गवाहों की सुनवाई में सुकुल जी के द्वारा 50 बचाव पक्ष के गवाहों को पेश करने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया गया।

बैकुंठ सुकुल को सजा सुनाते समय सत्र न्यायाधीश उन तीन निर्णायकों से असहमत रहा जिन्होंने बैकुंठ सुकुल को दोषी नहीं पाया बल्कि बहुमत छोड़कर एक निर्णायक से सहमत रहते हुए फैसला सुनाया गया और 14 मई,1934 को बैकुंठ नाथ सुकुल को फाँसी दे दी गई।

यह पुस्तक तत्कालीन राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में शहीद बैकुंठ सुकुल के मुकदमे की कार्यवाहियों को प्रामाणिकता से प्रस्तुत करती है।

24 फरवरी, 1934 का वह पत्र भी इस पुस्तक में शामिल में किया गया है, जो मुजफ्फरपुर के सत्र न्यायाधीश ने पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को लिखा था। उस पत्र में स्पष्ट किया गया था कि ‘बैकुंठ सुकुल द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष बचाव वकील खड़ा करने का कोई अर्थ नहीं है।’ साथ ही यहाँ ‘लाहौर षड्यंत्र’ के मुकदमे के फैसले से जुड़े दस्तावेज भी हैं जो सुखदेव और उनके साथियों द्वारा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध किया गया था।

इन दस्तावेजों के अतिरिक्त इस पुस्तक में जहाँ हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन गतिविधियों का खुलासा किया गया है, वहीं बिहार की राष्ट्रीय राजनीति में भूमि,जातियों, समुदाय और शिक्षा की सापेक्ष भूमिका पर प्रकाश भी डाला गया है।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 512p
Translator Aditya Narayan Singh
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Editorial Review

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Author: Nandkishore Sukla

नन्दकिशोर शुक्ल

जन्म : 12 अक्तूबर, 1948। वैशाली जनपद (बिहार) के विष्णुपुर तीतिरा गाँव में।

शिक्षा : बारहवीं तक की शिक्षा अपने गाँव के विद्यालय एवं दयालपुर हाई स्कूल में हुई। पटना कॉलेज, पटना से 1967 में इतिहास में स्नातक (प्रतिष्ठा) किया। 1970 में पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में प्रथम श्रेणी में एम.ए. करने के बाद तीन साल तक रूरल इन्स्टीट्यूट ऑफ स्टडीज, बिरौली, बिहार में इतिहास का अध्यापन किया।

1973 में भारतीय राजस्व सेवा में नियुक्ति के बाद मुजफ्फरपुर, पटना, कलकत्ता, अहमदाबाद आदि शहरों में पदस्‍थ रहे।

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