Stri Alakshit

Author: Shrikant Yadav
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Stri Alakshit
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भारतीय समाज में स्त्री-विमर्श किन जटिल रास्तों और मोड़ों से होकर मौजूद मुक़ाम तक पहुँचा है, यह किताब उसकी एक दिलचस्प झलक पेश करती है। बीसवीं सदी का पूर्वार्द्ध, जो एक तरफ़ औपनिवेशिक दासता से मुक्ति के लिए भारतीय समाज की तड़प का साक्षी बना था, वहीं दूसरी तरफ़ वर्णव्यवस्था की बेड़ियों में जकड़े दलितों और पितृसत्ता से आक्रान्त स्त्रियों के बीच जारी मन्थन और उत्पीड़न का भी सहयात्री बना था। इस दौर के अब लगभग भूले-बिसरे दो दर्जन स्त्री विषयक लेखों को संकलित करके युवा लेखक और शोधार्थी श्रीकान्त यादव ने भारतीय इतिहास के उस महत्त्वपूर्ण कालखंड के एक लगभग अदृश्य पक्ष पर रोशनी डाली है।

समकालीन समाज में स्त्री-चिन्तन परम्परा और समकालीनता के किन दबावों को आकार दे रहा था, ‘स्त्री अलक्षित’ में संकलित लेखों से गुज़रते हुए उनकी भी शिनाख़्त होती है। विश्वास है कि स्त्री-विमर्श में रुचि रखनेवाले विद्यार्थियों, शोधार्थियों और विद्वानों के लिए यह पुस्तक अवश्य पठनीय और संग्रहणीय सिद्ध होगी।

—कृष्णमोहन

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 167p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Shrikant Yadav

Author: Shrikant Yadav

श्रीकान्त यादव

आज़मगढ़ ज़िले के चक धरना गाँव में 1987 को जन्म। इंटरमीडिएट तक शिक्षा-दीक्षा प्रायः घर पर पिताजी की देखरेख में, बी.ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से तथा एम.ए. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पूर्ण किया। फ़िलहाल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से ही ‘मन्नू भंडारी के कथा साहित्य में स्त्री-पुरुष सम्बन्ध’ विषय पर शोध कार्य में संलग्न।

कथा साहित्य एवं तत्कालीन विमर्शों में विशेष रुचि। विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में दर्जनों शोध-लेख प्रकाशित। इस समय ‘साम्प्रदायिकता और हिन्दी का कथा साहित्य’ पुस्तक-लेखन में संलग्न।

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