Soorsagar Saar Satik

You Save 15%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Soorsagar Saar Satik

सूरदास हिन्दी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं, किन्तु इस महाकवि की प्रसिद्ध कृति ‘सूरसागर’ का पठन-पाठन का रसास्वादन उतना नहीं हो पा रहा है जितना होना चाहिए। इसके अनेक कारण हैं। एक तो यह ग्रन्थ बहुत बड़ा है, दूसरे इसमें अनेक स्तरों की सामग्री मिश्रित रूप में पाई जाती है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए ‘सूरसागर’ के लगभग 5000 पदों में से 831 अत्यन्त उत्कृष्ट पदों का चयन इस पुस्तक में किया गया है। विनय तथा भक्ति के पदों के उपरान्त कृष्णचरित सम्बन्धी पद, गोकुल लीला, वृन्दावन लीला, राधा-कृष्ण, मथुरा गमन, उद्धव-सन्देश और द्वारिका चरित तथा कृष्ण-जन्म से लेकर राधा-कृष्ण के अन्तिम मिलन तक के

सम्पूर्ण कृष्णचरित क्रमबद्ध वर्णन प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है। इस प्रकार का प्रयास पहली बार प्रस्तुत है।

आशा है, अध्येता इस ग्रन्थ से पूरा लाभ उठा सकेंगे।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 387p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan - Sahitya Bhawan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Soorsagar Saar Satik
Your Rating

Author: Dr. Dhirendra Verma

धीरेन्द्र वर्मा 

जन्म : 17 मई, 1897 को बरेली के भूड़ मुहल्ले में हुआ।

शिक्षा : क्वींस कॉलेज, लखनऊ से सन् 1914 में प्रथम श्रेणी में स्कूल लीविंग परीक्षा पास की और हिन्दी में विशेष योग्यता। म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद से सन् 1921 में संस्कृत से एम.ए. किया। सन् 1934 में प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक ज्यूल ब्लॉख के निर्देशन में पेरिस यूनिवर्सिटी से डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त की।

सन् 1924 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रथम अध्यापक नियुक्त हुए, बाद में प्रोफ़ेसर तथा हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। हिन्दुस्तानी अकादमी के सदस्य और दीर्घकाल तक मंत्री के पद पर नियुक्त रहे। सन् 1958-59 में लिग्निस्टिक ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रहे। सागर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रहे। जबलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्य किया।

प्रमुख कृतियाँ : ‘हिन्दी भाषा का इतिहास’, ‘हिन्दी भाषा और लिपि’, ‘ब्रजभाषा व्याकरण’, ‘अष्टछाप’, ‘सूरसागर सार’, ‘मेरी कॉलेज डायरी’, ‘ब्रजभाषा हिन्दी साहित्य कोश’, ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, ‘कम्पनी के पत्र’, ‘ग्रामीण हिन्दी’, ‘हिन्दी राष्ट्र’, ‘विचारधारा’, ‘यूरोप के पत्र’ आदि।

निधन : प्रयाग में सन् 1973 में।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top