Shiksha Ke Samajik Sarokar

Edition: 2008, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Shiksha Ke Samajik Sarokar

शिक्षा के सामाजिक सरोकार’ शिक्षा, शिक्षक, छात्र और विद्यालय पर केन्द्रित वैयक्तिक निबन्धों का संग्रह है। केदारनाथ पाण्डेय की यह पुस्तक साहित्य की कई विधाओं का आस्वाद देती है। यह संस्मरण भी है, यात्रा-वृत्तान्त भी और शिक्षा के सामाजिक सरोकारों का आख्यान भी।

शिक्षा के क्षेत्र में एक शिक्षक द्वारा किए गए अभिनव प्रयासों का यह ऐसा वृत्तान्त है, जिसे छात्र, शिक्षक और अभिभावक सभी के लिए पढ़ना ज़रूरी है।

केदारनाथ पाण्डेय की इस पुस्तक का मूल स्वर है—सबको शिक्षा, सबको काम। लेखक न सिर्फ़ बच्चों को पढ़ा-लिखा देखना चाहता है बल्कि आम जन के लिए न्याय भी चाहता है। लेखक किसानों के लिए ज़मीन, ग़रीबों के लिए घर और सभी के लिए आशाएँ चाहता है। वह सुन्दर भविष्य का सपना देखता है जो परम्परा और संस्कृति के बिना अधूरा है। समाज की कई कल्पनाएँ, योजनाएँ पुस्तक में स्थान पाती हैं। स्मृतियों को सहेजकर रखने में लेखक माहिर है और उसका यथेष्ट इस्तेमाल इस पुस्तक में किया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 132p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Kedarnath Pandey

Author: Kedarnath Pandey

केदार नाथ पाण्डेय

जन्म : 1 जनवरी, 1943; कोटवा नारायणपुर, बलिया, उत्तर प्रदेश।     

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी एवं संस्कृत), बी.एड. साहित्य रत्न। तैंतीस वर्षों तक सीवान के विभिन्न विद्यालयों तथा विद्याभवन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, सीवान में अध्यापन। गया दास कबीर उच्च विद्यालय, रसीदचक, मठिया, सीवान एवं मॉडर्न उच्च विद्यालय, पटना में प्रधानाध्यापक पद से 1996 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति। शिक्षक संगठन तथा ट्रेड यूनियन आन्दोलन से जुड़ाव। अध्यापन काल से ही नाट्य-लेखन और अभिनय में गहरी रुचि तथा साहित्य, शिक्षा के सामाजिक सरोकारों से गहरा लगाव एवं सामयिक विषयों पर पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर लेखन।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘पृथ्वीराज चौहान’, ‘कैकेयी’, ‘गुरुदक्षिणा’, ‘वीर शिवाजी’ (हिन्दी) और ‘शुरुआत’ (भोजपुरी) नाट्य-पुस्तकें हैं। वहीं अन्य पुस्तकों में ‘शिक्षा के सामाजिक सरोकार’, ‘मैल धुल जाने के गीत’, ‘यादों के पन्ने’, ‘शिक्षा को आन्दोलन बनाना होगा’, ‘बीते दौर के भी गीत गाए जाएँगे’, ‘महाकाल की भस्म आरती’, ‘गाँव से शहर का रास्ता’, ‘आज का संकट’, ‘शिक्षा के सवाल’ आदि शामिल हैं।

सम्प्रति : बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष एवं बिहार विधान परिषद के सदस्य।

 

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