‘समरगाथा’ एक अनूठे संघर्ष की कहानी है जो ईसा के जन्म से करीब डेढ़ सदी पहले घटित हुआ था। फ़िलिस्तीन के कुछेक किसानों ने उन सामी-यूनानी विजेताओं के ख़िलाफ़ बग़ावत का झंडा उठा लिया था जिन्होंने उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया था। वे तीन दशक तक लड़ते रहे। संसार के इतिहास में सम्भवतः यह पहली बार था जब विद्रोहियों ने संघर्ष के लिए छापामार तरकीब अपनाई। वास्तव में प्रतिरोध और आज़ादी के लिहाज़ से यह ऐसा संघर्ष था जिसकी दूसरी मिसाल मानव-इतिहास में ढूँढ़ पाना मुश्किल है। एक मायने में, यह आज़ादी का पहला आधुनिक संघर्ष था, और इसने बाद के अनेक आन्दोलनों के लिए एक लीक तैयार की। दुनियाभर के यहूदियों द्वारा मनाया जाने वाला चनाका अथवा रोशनी का पर्व उसी विद्रोह की यादगार है। सुदूर अतीत की इस घटना को साकार साकार करते हुए यह उपन्यास उत्पीड़ितों के प्रति प्रतिबद्धता और अन्याय के ख़िलाफ़ प्रतिकार की भावना को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है जिसकी आवश्यकता वर्तमान में भी असंदिग्ध है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Amrit Rai |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1969 |
Edition Year | 2025, Ed. 2nd |
Pages | 274p |
Publisher | Lokbharti Prakashan - Hans Prakashan |
Dimensions | 21 X 13.5 X 1.5 |