Safed Ghora Kala Sawar

Author: Hrideyesh
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Safed Ghora Kala Sawar

हृदयेश ने अपने इस उपन्यास ‘सफेद घोड़ा काला सवार’ में भारतीय न्याय–व्यवस्था की शव–परीक्षा की है। यह उपन्यास इस व्यवस्था के सारे अन्तर्विरोधों तथा छद्मों को केवल उजागर ही नहीं करता, सामान्य जन के लिए प्रचलित न्याय–प्रणाली की निरर्थकता पर तीव्र टिप्पणी भी करता है। उपन्यास का फलक इतना व्यापक है कि इसमें संगुम्फित छोटी–छोटी कहानियाँ इसे न्याय के नाम पर रचे गए चक्रव्यूह का वृहद् मार्मिक दस्तावेज़ बनाती हैं।

उपन्यास में विषयगत नवीनता है, शिल्पगत ताज़गी है और है सार्थक दृष्टि का कलात्मक उपयोग। वस्तुत: यह उपन्यास हिन्दी के उन कुछ श्रेष्ठ उपन्यासों में से है जो स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में यथार्थवादी दृष्टि से लिखे गए हैं और जो पाठकों को समसामयिक परुष यथार्थ से परिचित कराने के साथ–साथ उनको बहुत कुछ सोचने को भी मजबूर करते हैं।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 198p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Author: Hrideyesh

हृदयेश

जन्म : 2 जुलाई, 1930; शाहजहाँपुर (उ.प्र.)।

प्रमुख कृतियाँ : उपन्यास—‘गाँठ’, ‘हत्या’, ‘एक कहानी अन्तहीन’, ‘सफ़ेद घोड़ा काला सवार’, ‘साँड’, ‘पुनर्जन्म’, ‘दण्डनायक’, ‘पगली घंटी’, ‘हवेली’; कहानी-संग्रह—‘छोटे शहर के लोग’, ‘अँधेरी गली का रास्ता’, ‘इतिहास’, ‘उत्तराधिकारी’, ‘अमरकथा’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘नागरिक’, ‘रामलीला तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सम्मान’, ‘जीवनराग’, ‘सन् उन्नीस सौ बीस’, ‘शिकार’; आत्‍मकथा—‘जोखिम’।

सम्‍मान : ‘पहल सम्‍मान’, ‘साहित्‍य भूषण सम्‍मान’ आदि।

कई रचनाएँ देश-विदेश की विभिन्‍न भाषाओं में अनूदित।

निधन : 31 अक्‍टूबर, 2016  

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