Sabhyatayen Aur Sanskritiyan

Author: Daya Krishna
Translator: Nandkishore Acharya
As low as ₹594.15 Regular Price ₹699.00
You Save 15%
In stock
Only %1 left
SKU
Sabhyatayen Aur Sanskritiyan
- +

आधुनिक भारत में जो शीर्षस्थानीय दार्शनिक हुए हैं, उनमें डॉ. दया कृष्ण का विशेष स्थान है। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र के गहन अध्येता के रूप में शुरुआत की थी पर बाद में उन्होंने भारतीय दार्शनिक और बौद्धिक परम्परा में गहरी पैठ बनाई। उन्होंने अनेक भारतीय विचारों और सिद्धान्तों पर पुनर्विचार किया, कुछ का बदली हुई परिस्थिति में पुनराविष्कार किया। उन्होंने निरी नई व्याख्या से हटकर कई नई जिज्ञासाएँ विन्यस्त कीं और कई पुराने प्रश्नों के नए उत्तर खोजने का दुस्साहस किया। सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच सम्बन्ध और अन्तर पर उन्होंने नई गम्भीरता से विचार किया और उन्हें लेकर इतिहास-लेखन के लिए कुछ मौलिक प्रस्तावना की। हिन्दी में निरन्तर क्षीण हो गई विचार-परम्परा में यह हिन्दी अनुवाद समृद्ध विस्तार करेगा, ऐसी आशा है।

—अशोक वाजपेयी

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 224p
Translator Nandkishore Acharya
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Sabhyatayen Aur Sanskritiyan
Your Rating
Daya Krishna

Author: Daya Krishna

दया कृष्ण

दया कृष्ण (1924-2007) भारत के प्रमुख दार्शनिकों में एक थे। निरन्तर प्रश्नाकुलता के कारण उनको भारत का ‘सुकरात’ कहा जाता था। उनकी रचनात्मकता अनेक क्षेत्रों में मुखर हुई जो उनकी पुस्तकों के शीर्षकों से भी झलकती है। दया जी की पुस्तकों में प्रमुख हैं : ‘द नेचर ऑफ़ फ़‍िलॉसॉफ़ी’, ‘पोलिटिकल डेवलपमेंट’, ‘पश्चिमी दर्शन का इतिहास’, ‘सोशल फ़‍िलॉसॉफ़ी : पास्ट एंड फ़्यूचर’, ‘द आर्ट ऑफ़ कन्सेप्चुअल ; एक्‍सप्‍लोरेशंस इन ए कन्सेप्चुअल मैझ ओवर थ्री डेकेड्स’, ‘प्रोलेगोमेना टू एनी फ़्यूचर हिस्टीरियोग्राफ़ी ऑफ़ कल्चर्स एंड सिविलाइजेशंस’ और ‘सिविलाइजेशंस : नॉस्‍टेल्जिया एंड यूटोपिया’, ‘टुवर्ड्स ए थ्योरी ऑफ़ स्ट्रक्चरल एंड ट्रांसेडेंटल इल्युजंस’। 

अपने जीवन के उत्तर-काल में दया जी के लेखन ने भारतीय दर्शन को लेकर अनेक महत्त्वपूर्ण सवाल खड़े किए। दया जी ने तीन दशकों तक भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् की पत्रिका का सम्पादन किया; सम्पादक के रूप में वे उस पत्रिका में ‘नोट्स एंड क्वेरीज’ खंड का लेखन करते थे। उनके प्रमुख लेखों में शामिल हैं : ‘आर्ट एंड द मिस्टिक कांशसनेस’, ‘टाइम ट्रुथ एंड ट्रांसेडेंस’, ‘द कांसेप्ट ऑफ़ रेवल्‍यूशन : ऐन अनालिसिस’।

Read More
Books by this Author
Back to Top