Rudra Gufa Ka Swami

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Rudra Gufa Ka Swami

शिव वचन  चौबे लोकगीतों और लोककथाओं में जीवन्तता तलाशनेवाले मिथक प्रेमी, कथाकार प्रेमी मात्र नहीं हैं। वे ग्रामीण जीवन के बदलते चरित्र को उसकी सहजता और चालाकी के साथ रेखांकित करनेवाले संवेदनशील रचनाकार हैं। ‘रुद्रगुफा का स्वामी' आत्मपरक वस्तुपरकता से विकसित आज के गाँवों और नगरों में विद्यमान सम्पत्ति-मोह के भीषण परिणामों का संकेत करनेवाला अत्यन्त रोचक उपन्यास है।

यह उपन्यास लोककथा के रहस्य, रोमांच, जिज्ञासा, कौतूहल आदि तत्त्वों के उपयोग से बना होने के कारण पाठक को अन्त तक बाँधे रहता है। हिन्दी में कौतूहल और रहस्य का सामाजिक यथार्थ के उद्घाटन की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण प्रयोग है।

देवकीनंदन खत्री के उपन्यासों जैसा यह नाम निम्न जातियों के स्वार्थपरक इस्तेमाल का उद्घाटन करते हुए उनकी उद्बुद्ध विवेकशक्ति को रेखांकित करता है। रुद्रगुफा का स्वामी कौन है? और क्यों बना है? यह प्रश्न यथार्थ के अनेक हेतुओं का उद्घाटन करता है। पाठकों और आलोचकों को अपने स्वरूप और संकेत से आकर्षित करनेवाला एक उल्‍लेखनीय उपन्‍यास।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2006, Ed. 1st
Pages 266p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Shiv Vachan Choube

शिव वचन चौबे

जन्मतिथि : 28 दिसम्बर, 1944; ग्राम—गायघाट, ज़िला—कैमूर (भभुआ), बिहार।

शिक्षा : बी.एससी. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), डिप्लोमा (मैनेजमेंट)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘कैकेयी’ (ख्ंडकाव्य); ‘त्रिजटा’ (महाकाव्य); ‘रावण ज़िन्दा है’ (कविता-संग्रह);

‘कनिया काकी’ (कहानी-संग्रह); ‘शबरी के जूठे बेर’, ‘महाभारत की विडम्बना’ (ललित निबन्ध-संग्रह)। बाल साहित्य की भी कई पुस्तकें प्रकाशित।

पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ़ उत्‍तरांचल, ऊर्जा भवन में अधिशासी निदेशक रहे।

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