Priyapravas

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Priyapravas
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‘प्रियप्रवास’ एक सशक्त विप्रलम्भ काव्य है जिसकी रचना प्रेम और शृंगार के विभिन्न पक्षों को लेकर की गई है। इस ग्रन्थ का विषय श्रीकृष्ण की मथुरा-यात्रा है, इसी कारण इसका नाम ‘प्रियप्रवास’ है। कथा-सूत्र से मथुरा-यात्रा के अतिरिक्त उनकी और ब्रज लीलाएँ भी यथास्थान इसमें लिखी गई हैं।...

श्रीकृष्ण को इस ग्रन्थ में एक महापुरुष की भाँति अंकित किया है, ब्रह्म करके नहीं।...जो महापुरुष हैं, उनका अवतार होना निश्चित है। भगवान श्रीकृष्ण का जो चरित्र प्रस्तुत किया है, उस चरित्र का अनुसन्‍धान करके आप स्वयं विचार करें कि वे क्या थे।

कवि ने अपनी इस कृति में कृष्ण-कथा के मार्मिक यक्ष क्रो किंचित् मौलिकता और एक नूतन दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।

—भूमिका से

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 256p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 18 X 13 X 1.5
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Ayodhya Singh Upadhyay 'Hariaudh'

Author: Ayodhya Singh Upadhyay 'Hariaudh'

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

खड़ी बोली के प्रथम महाकवि अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जन्म सन् 1865 ई. में ज़‍िला आज़मगढ़ में हुआ था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी के अवैतनिक सम्पादक-पद पर कार्य करते हुए ‘कबीर रचनावली' का सम्पादन किया। रचनावली की भूमिका में कबीर पर लिखे गए लेख से इनकी आलोचना-दृष्टि का पता चलता है। इन्होंने ‘हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास' शीर्षक एक इतिहास-ग्रन्थ भी प्रस्तुत किया, जो बहुत लोकप्रिय हुआ।

1924 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधान-पद को सुशोभित किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा साहित्य-सेवियों का पद प्रदान किया गया। खड़ी बोली काव्य के विकास में इनका योगदान निश्चित रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है।

निधन : सन् 1947

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