Pramod

Author: Chitra Singh
Edition: 2011, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Pramod

जीवन का हर पल यदि इस भाव से जिया जाए, जैसे वही अन्तिम पल हो, तो जीवन की सार्थकता बढ़ जाती है। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जब कुछ लोगों ने जीवन को इसी भाव से जिया और समाज पर गहरी छाप छोड़ गए। यह कृति आत्मकथ्यात्मक शैली में लिखा गया एक ऐसा उपन्यास है, जिसे लेखिका ने 30 वर्षों के निजी अनुभवों और भावनाओं के निचोड़ की स्याही से लिपिबद्ध किया है। बेहद प्रवाहमय और भावपूर्ण शब्दांकन के इस ताने-बाने में आपको कई चित्रों में अपने जीवन के ही ऐसे परिचित अक्स नज़र आएँगे जो आपको संघर्षों से उबरने और धीरज के साथ हर समस्या को सुलझाने की प्रेरणा देंगे।

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 263p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Chitra Singh

Author: Chitra Singh

चित्रा सिंह

हिन्दी की सक्रिय कथाकार रही हैं, परन्तु कुछ समय से गृहस्थी में व्यस्तता के कारण उन्होंने लेखन पर ध्यान देना बन्द कर दिया था।

पेशे से शिक्षिका रहीं, इस लेखिका की भाषा शैली में पुरातन और नए साहित्यिक प्रयोगों की छवियाँ एक साथ अनुभव की जा सकती हैं।

अपने पहले उपन्यास में चित्रा जी ने अपने 30 वर्षों के पारिवारिक तथा निजी जीवन को ही अद्भुत शब्द संयोजन के माध्यम से प्रस्तुत किया है।

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