Pakistani Urdu Shayari Vol. 2

Author: Narendra Nath
Edition: 1997, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Pakistani Urdu Shayari Vol. 2
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‘नाकामियों ने और भी सरकश बना दिया/इतने हुए ज़लील कि ख़ुद्दार हो गए।’ कर्रार नूरी का यह शे’र इस संकलन में शामिल उनकी ग़ज़ल से है। लेकिन हिन्दी पाठकों में अनेक ऐसे होंगे जिन्होंने उनका नाम नहीं सुना होगा।

पाकिस्तान के दरअसल कुछ ही शायर हैं जिनसे हिन्दी समाज परिचित है। इस शृंखला की योजना इसी को ध्यान में रखकर बनाई गई थी ताकि वे शायर जो किसी कारण भाषा और मुल्क की सीमा लाँघकर भारत के कविता-प्रेमियों तक नहीं पहुँच सके, यहाँ का पाठक उन्हें जान सके। सम्पादक नरेन्द्र नाथ के शब्दों में ‘पाकिस्तानी उर्दू शायरी’ शृंखला का उद्देश्य पाकिस्तान के ‘प्रसिद्ध कवियों के साथ-साथ उन शायरों को भी हिन्दी जगत के सामने लाना है जिनके लिए कविता केवल आत्मरति-भर नहीं, जो अपनी क़लम की नोक को सेंसरशिप की संगीनों से टकराते हुए शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़’ उठाते रहे, इसलिए सजी-धजी स्टेजों तक नहीं पहुँच सके।

इस खंड में उन्नीस शायरों की नज़्में, ग़ज़लें और फुटकर अशआर शामिल हैं जिनमें से कुछ, जैसे अहमद नदीम कासमी, अहमद फ़राज़ और क़तील शिफ़ाई, से तो सामान्य पाठक भी वाक़िफ़ है, लेकिन ज़्यादातर उसके लिए नये होंगे।

पाकिस्तान की सरज़मीं पर उगी इन रचनाओं से गुज़रते हुए हम इन दोनों मुल्कों की सांस्कृतिक और भावनात्मक समानताओं से भी साक्षात्कार करते हैं जिसके निशान उनकी शब्दावली से लेकर उन सरोकारों और बिम्बों तक फैले हैं जिन्हें ये रचनाएँ हम तक पहुँचाती हैं। हिमायत अली शायर का यह शे’र देखें :

हर क़दम पर नित-नये साँचे में ढल जाते हैं लोग

देखते-ही-देखते कितने बदल जाते हैं लोग। 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1985
Edition Year 1997, Ed. 2nd
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Narendra Nath

नरेन्द्र नाथ

नरेन्द्र नाथ कई नौकरियाँ, यात्राएँ करने के बाद वर्षों तक स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज, बफ़ैलो (न्यूयॉर्क) में समाजशास्त्र पढ़ाते रहे।

इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘नौ बरस’ (उपन्यास); ‘पाकिस्तानी उर्दू शायरी’ (चार खंडों में), ‘पाकिस्तान में ताज़ा ग़ज़लें’ (सम्‍पादन); ‘अंग्रेज़ी में समाजशास्त्रीय लेखन’ (विमर्श)।

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