Na Rahoon Kisi Ka Dastnigar

Autobiography,आज़ादी का अमृत महोत्सव
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Na Rahoon Kisi Ka Dastnigar

यह किताब भारतीय समाज और उसकी सभ्यता के एक हज़ार वर्षों के परिवर्तनों का संक्षिप्त मगर जीवन्त दस्तावेज़ है। इस किताब में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान रही धाराओं ख़ासकर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के कांग्रेस छोड़ने और ‘आज़ाद हिन्द फौज़’ का गठन कर देश की आज़ादी के लिए लड़ी गई लड़ाई का ज़िक्र विस्तार से किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि ‘आज़ाद हिन्द फौज़’ के सिपाहियों के साथ स्वतंत्र भारत की सरकार ने कैसा बर्ताव और सुलूक किया।

इस किताब में आज़ादी के बाद क़रीब तीन दशकों तक चले समाजवादी आन्दोलन, उसकी टूट, एका और बिखराव का बहुत ही सजीव चित्रण किया गया है। साथ ही इस आन्दोलन में भाग लेनेवाले प्रमुख नेताओं—आचार्य नरेन्द्र देव, डॉ. राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और उनके सहयोगियों के राजनीतिक चरित्र का वस्तुगत वर्णन और विश्लेषण ईमानदारी के साथ किया गया है। एक मायने में यह आत्मकथा इतिहास की उन विकृतियों की ओर इशारा करती है जो अभी भी जनमानस में गहरी पैठ किए हुए हैं और जिनका सुधारा जाना ज़रूरी है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 303p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Editorial Review

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Captain Abbas Ali

Author: Captain Abbas Ali

कैप्टन अब्बास अली

जन्म : 3 जनवरी, 1920, क़लंदर गढ़ी, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में।

शिक्षा : खुर्जा और फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में। बचपन से ही भगत सिंह के क्रान्तिकारी विचारों से प्रभावित। 1939 में ब्रिटिश सेना में भर्ती। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानियों द्वारा युद्धबन्दी बनाए गए। आज़ाद हिन्द फौज़ में शामिल और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ी। ब्रिटिश सेना द्वारा युद्धबन्दी बनाए गए। कोर्ट मार्शल हुआ और सज़ा-ए-मौत सुनाई गई।
1948 में आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण और डॉ. राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में सोशलिस्ट पार्टी में शामिल 1968 में उत्तर प्रदेश संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राज्यमंत्री चुने गए। 1967 में उत्तर प्रदेश में बनी पहली ग़ैर कांग्रेसी संविद सरकार के निर्माण में अहम भूमिका। आपातकाल के दौरान 15 माह बुलंदशहर, बरेली और नैनी सेंट्रल जेल में बन्द रहे। 1977 में उत्तर प्रदेश जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए। 6 वर्षों के लिए उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए निर्वाचित। 50 से अधिक बार सिविल नाफ़रमानी आन्दोलनों के तहत जेल यात्रा।

निधन : 11 अक्टूबर, 2014

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