Musaddas-E-Hali

Translator: Abdul Bismillah
Editor: Abdul Bismillah
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Musaddas-E-Hali
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‘मुसद्दस’ के काव्यात्मक पक्ष पर टिप्पणी करते हुए शमशेर कहते हैं : ‘उसका संगठन अद्भुत रूप से पुष्ट जान पड़ता है। कोई एक भाव बिलकुल उसी रूप में दोहराया नहीं गया। पूरी कविता की लड़ियाँ आपस में इस तरह गुँथी हुई हैं कि अगर एक को भी तोड़कर अलग करें तो पूरी कविता का सौन्दर्य उसी परिणाम में टूटता और बिखरता है।’

‘मुसद्दस-ए-हाली’ की रचना 1879 में उस समय हुई जब भारतीय समाज 1857 के विद्रोह में पराजित होने के बाद पस्ती और हताशा के दौर से गुज़र रहा था। ख़ास तौर पर भारतीय मुस्लिम समाज। मौलाना अल्ताफ़ हुसैन ‘हाली’ ने इसकी रचना सर सैयद अहमद ख़ाँ के आग्रह पर क़ौम को इस हालात से जगाने के लिए की। इस कृति की अहमियत का अनुमान सर सैयद के इस कथन से लगाया जा सकता है कि ‘अगर ख़ुदा ने मुझसे पूछा कि दुनिया में तुमने क्या किया तो मैं जवाब दूँगा कि मैंने हाली से ‘मुसद्दस-ए-हाली’ लिखवाई।’

इसी से प्रेरित होकर मैथिलीशरण गुप्त ने हिन्दू समाज को ध्यान में रखकर अपनी प्रसिद्ध कृति ‘भारत भारती’ की रचना की जो 1913 में प्रकाशित हुई। दोनों ही रचनाएँ अपने-अपने ढंग से भारत के लोगों को अपने वैभवशाली अतीत का स्मरण करने और अशिक्षा, अज्ञान तथा मानसिक दासता से मुक्त होने का आह्वान करती हैं।

यह ‘मुसद्दस-ए-हाली’ का प्रामाणिक पाठ है जिसे हिन्दी के प्रतिष्ठित कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह ने सम्पादित किया है। दस्तावेज़ी महत्त्व की इस प्रस्तुति में प्रयास किया गया है कि मुसद्दस के मूल पाठ के साथ-साथ इसकी पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक महत्ता भी पाठकों के सामने मौजूद रहे। यह काम करता है कवियों के कवि कहे जानेवाले शमशेर बहादुर सिंह का एक महत्त्वपूर्ण आलेख जो उन्होंने ‘भारत भारती’ और ‘मुसद्दस-ए-हाली’ को साथ-साथ पढ़ते हुए लिखा था। हाली द्वारा लिखी गईं पहले और दूसरे संस्करणों की भूमिकाओं का लिप्यन्तरण भी इसमें शामिल है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 159p
Translator Abdul Bismillah
Editor Abdul Bismillah
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Author: Khwaja Altaf Hussain 'Hali'

मशहूर शाइर, आलोचक और जीवनी-लेखक ख़्वाजा अल्ताफ़ हुसैनहालीका जन्म सन् 1837 में पानीपत में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा वहीं हुई। बाद में वे दिल्ली चले गए जहाँ उन्होंने आगे की पढ़ाई की। दिल्ली में उन्हें मशहूर शाइर मिर्ज़ा ग़ालिब का साथ मिला। हाली का जहाँगीराबाद के नवाब मुस्तफ़ा ख़ान शेफ़्ता से भी लम्बा रिश्ता रहा। हाली ने लाहौर के पंजाब गवर्नमेंट बुक डिपो में काम किया। दिल्ली के एँग्लो अरेबिक स्कूल में भी पढ़ाया। सन् 1879 में उन्होंनेमुसद्दस-मद्द--जज़्र--इस्लामलिखा जोमुसद्दस--हालीके नाम से प्रसिद्ध है। इसके अलावा उन्होंनेयादगार--ग़ालिब’, ‘हयात--सादी’, ‘हयात--जावेदकी भी रचना की।

1904 में ब्रिटिश सरकार ने हाली कोशम्सुल-उलमाके ख़िताब से नवाज़ा। दिसम्बर, 1914 में उनका निधन हुआ।

अनुवादक के बारे में

अब्दुल बिस्मिल्लाह

हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार अब्दुल बिस्मिल्लाह का जन्म 5 जुलाई, 1949 को उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद के बलापुर गाँव में हुआ। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.. तथा डी.फिल्. किया।झीनी झीनी बीनी चदरिया’, ‘मुखड़ा क्या देखे’, ‘अपवित्र आख्यान’, ‘कुठाँवआदि आठ उपन्यास और सात कहानी संग्रह प्रकाशित हैं। अन्य विधाओं में भी लिखा है।झीनी झीनी बीनी चदरियाउपन्यास विशेष रूप से चर्चित तथा अंग्रेज़ी और उर्दू में भी प्रकाशित है। उनके कई उपन्यास और अनेक कहानियाँ विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुए हैं। उन्होंने मौलिक लेखन के अतिरिक्त उर्दू साहित्य की कई ख्यातिलब्ध रचनाओं का हिन्दी में लिप्यन्तरण और अनुवाद भी किया, जिनमें फ़ैज़ अहमदफ़ैज़का कविता-समग्रसारे सुखन हमारेबहुचर्चित रहा है।

सोवियत लैंड नेहरू अवार्डसमेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष रहे। अब सेवानिवृत्त।

ई-मेल : abismillah786@gmail.com

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