Meri Zameen Mera Safar

Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Meri Zameen Mera Safar

विनोद कुमार त्रिपाठी पेशेवर अदीब नहीं हैं, अदब और शायरी उनके भीतर की वह बेचैनी है जो उनके व्यस्त और व्यावसायिक तौर पर सफल जीवन में रोज़ बूँद-बूँद इकट्ठा होती रहती है और फिर जैसे ही वे अपने नज़दीक बैठते हैं तो ग़ज़लों और नज़्मों की शक्ल में फूट पड़ती है। यही वे लम्हे होते हैं जब वे कहते हैं, ‘जलाकर आग दिल में, ख़ुद को इक तूफ़ान मैं कर दूँ।’ लेकिन तूफ़ान होने की यह कामना उनके व्यक्ति तक सीमित नहीं है, इसमें वह पूरा समाज और परिवेश शामिल है जो उनके साथ हमारे भी इर्द-गिर्द हमेशा रहता है

और जिसकी अजीबोग़रीब फ़ितरत से हम सब वाकिफ़ हैं। हम भी उसके बीच वही तकलीफ़ महसूस करते हैं जो उन्हें होती है लेकिन बहैसियत एक हस्सास शायर वे उसे कह भी लेते हैं और बहुत ख़ूबसूरती से कहते हैं।

इस किताब में शामिल उनकी ग़ज़लें और नज़्में गवाह हैं कि मौजूदा दौर की जेहनी और जिस्मानी दिक्‍़क़तों को उन्होंने बहुत नज़दीक और ईमानदारी से महसूस किया है। एक मिसरा है, ‘मैंने कल अपने उसूलों को नसीहत बेची’। रूह तक फैली हुई ये दुकानदारी आज हम सब का सच हो चुकी है। ऐसा कुछ अपने पास हमने नहीं रखा जिसे हम बेचने को तैयार न हों, और जिसके ख़रीदार आस-पास मौजूद न हों। लेकिन हम इससे वक़्त की ज़रूरत कहकर किनारा कर लेते हैं। विनोद त्रिपाठी इस विडम्बना को लेकर सचेत हैं। वे देख रहे हैं कि ज़िन्दगी की ये तथाकथित मजबूरियाँ हमें कहाँ लेकर जा रही हैं और ये भी कि अगर हम इन्हें रोक नहीं सकते तो इन पर निगाह तो रखना ही होगा।

‘दिखाकर ख़्वाब मुझको मारने की ज़िद है जो तेरी'—एक ग़ज़ल का ये मिसरा बताता है कि शायर ने अपने सामने मौजूद वक़्त और वक़्ती ताक़तों की साज़िशों को पहचान लिया है। और यहाँ से एक उम्मीद निकलती है कि हो सकता है कल उनका जवाब भी हम जुटा लें और अपने इंसानी सफ़र की बाक़ी उड़ानों को इंसानों की तरह अंजाम दे सकें ।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 152P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
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Vinod Kumar Tripathi 'Bashar'

Author: Vinod Kumar Tripathi 'Bashar'

विनोद कुमार त्रिपाठी ‘बशर’

पेशे से विभिन्न प्रशासनिक पदों पर काम करनेवाले विनोद कुमार त्रिपाठी का जन्म 1957 में इलाहाबाद में हुआ। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। इविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद में राजनीतिशास्त्र के अध्यापक रहे।

पिछले तक़रीबन तीस साल से विभिन्न सरकारी और ग़ैर-सरकारी पदों पर उल्लेखनीय प्रशासनिक और प्रबन्धन कौशल के साथ कार्य करते रहे हैं। 1982 में भारतीय राजस्व सेवा में उच्च पद पर कार्य आरम्भ किया और 2001 में आयकर विभाग में कमिश्नर बने।

कानून, आयकर, कॉरपोरेट लॉ, वित्तीय मामलों के गहरे जानकार।

सम्प्रति : 2005 से रिलायंस ' अनिल अंबानी’ ग्रुप के अध्यक्ष हैं और अन्य कुछ कम्पनियों में निदेशकीय भूमिका निभा रहे हैं।

लेखन में रुचि विद्यार्थी जीवन से ही है। शायर के रूप में उन्हें अदबी हलकों में विशेष स्थान प्राप्त है। ‘मेरी ज़मीन मेरा सफ़र’ के अलावा उनकी एक और किताब ‘मेरी ज़मीन के लोग’ है। उनकी ग़ज़लों को शंकर महादेवन, अलका याज्ञनिक, सुरेश वाडकर और मोहम्मद अज़ीज़ जैसे गायकों का स्वर मिला है।

 

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