Kafan Ek Punah : path-Text Book

Author: Pallav
₹95.00
ISBN:9788180319532
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9788180319532
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जनपक्षधरता प्रेमचन्द के संवेदनामूलक और विचारप्रेरित स्वभाव में थी, लेकिन एक रचनाकार के रूप में उनके लक्ष्य में थी—कला सिद्धि। देश-विदेश के अनेक नामी कथाकारों को उन्होंने न केवल पढ़ा था, जब-तब साहित्यिक प्रश्नों और सौन्दर्यगत समस्याओं पर भी अपनी मान्यताओं का विवेचन भी किया था। हम उन्हें अपने कला-कर्म को निरन्तर निखारता पाते हैं—उनकी सृजन-यात्रा में कमतर-बेहतर का अन्तराल एक उत्कर्ष-क्रम में ही अधिक मिलता है। ‘सेवासदन’ जैसे आदर्श-प्रधान उपन्यास से ‘गोदान’ जैसे यथार्थ-प्रधान तक और ‘पंचपरमेश्वर’ जैसी नीति-निर्देशक कहानी से ‘कफ़न’ जैसी नीति विडम्बना-गर्भित कहानी तक की उनकी कथायात्रा काम विस्मयकारक नहीं है। ‘गोदान’ में फिर भी एक-सा कथाविन्यास नहीं है—उसकी श्रेष्ठता का जितना आधार होरी-धनिया की त्रासद जीवन-कथा है, उतना अवान्तर कथाएँ नहीं, जबकि ‘कफ़न’ मानवीय त्रास के एक अखंड कलानुभव की महत रचना है; केवल इसलिए नहीं कि वह कहानी के लघु कलेवर में है बल्कि इसलिए कि लेखक के कम से कम बोलने पर भी वह रचना इतना बोलती है कि बहुत सारे सच उजागर होते चलते हैं। अपने समाज के संतप्त निम्नजन से साक्षात्कार में एक तप:पूत कलाकर्मी की क़लम से जाने-अनजाने एक ऐसी कला-निर्मिति हुई है, जो अद्भुत अपूर्व है।

यह सुखद है कि युवा आलोचक पल्लव ने इस कहानी पर हिन्दी के कुछ बौद्धिकों के विचार-आलेखों को संकलित-सम्पादित कर इस किताब में प्रस्तुत कर दिया है। एक कहानी भी गम्भीर विमर्श का प्रस्थान बिन्दु हो सकती है और यह आयोजन वह दुर्लभ अवसर उपलब्ध करवाता है।

—प्रो. नवल किशोर

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 143p
Price ₹95.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1.5
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Pallav

Author: Pallav

पल्लव

कथा आलोचना में घनघोर दिलचस्पी रखनेवाले पल्लव पेशे से अध्यापक हैं और ‘बनास जन’ नाम से एक पत्रिका का सम्पादन-प्रकाशन भी करते हैं। राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से सम्बन्ध रखनेवाले पल्लव ने अब तक जिन किताबों का लेखन किया है उनमें
‘मीरा : एक पुनर्मूल्यांकन’, ‘कहानी का लोकतंत्र’ और ‘लेखकों का संसार’ मुख्य हैं। उन्होंने काशीनाथ सिंह के साक्षात्कारों का एक संकलन ‘गपोड़ी से गपशप’ के नाम से तैयार किया है। कुछ पुरस्कारों और सम्मानों के धनी पल्लव कहानी आलोचना के क्षेत्र में उन उत्सुक युवाओं में से हैं जो लगातार अपने काम से पाठकों का ध्यान आकृष्ट करते रहे हैं। कहानीकार स्वयं प्रकाश और कथाकार काशीनाथ सिंह की कृतियों पर आए उनकी पत्रिका के अंक इसकी गवाही देते हैं। एक से ज़्यादा डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों की पटकथा लिख चुके पल्लव समीक्षा कर्म को रचनात्मक चुनौती मानते हैं और नियमित रूप से अख़बारों-लघु पत्रिकाओं में लिखना उन्हें सामाजिक ज़िम्मेदारी लगता है।

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