Jhipayya

Author: Arun Sadhu
Edition: 1998, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Jhipayya

‘झिपय्या' अरुण साधू की प्रयोगात्मक कथाकृति है। न तो इसे पूरी तरह कहानी कहा जा सकता है और न ही यह उपन्यास-विधा की सारी शर्तें पूरी करता है। इसीलिए श्री साधू ने अपनी इस कृति को सीधे-सीधे कहानी-संग्रह या उपन्यास न कहकर 'कथामालिका' कहा है। इसमें एक ही परिस्थिति में जीवन जीने का ईमानदार संघर्ष करते पात्रों की अनेक कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ श्री साधू ने 1977 से 1987 के बीच लिखीं और वे लगभग उपन्यास बन गईं। यह नया प्रयोग निश्चय ही कथा-विधा के लिए एक चुनौती की तरह है। उपन्यास का नायक 'झिपय्या' बारह-तेरह साल का किशोर है। घर में उसकी बहन लीला और उसकी माँ भी हैं। झिपय्या के अनेक साथी हैं जो बूट पालिश करने का धन्धा करते हैं। लेकिन मुम्बई की बदलती परिस्थितियों के बीच यह धन्धा ख़त्म होनेवाला है। इस अन्धकारमय भविष्य से झिपय्या परेशान नहीं होता। किसी असामाजिक कार्य में घुसने की नहीं सोचता। वह ईमानदारी से श्रम करके जीना चाहता है। यह ताक़त उसे अपनी आशावादी दृष्टि के कारण मिलती है। बूट पालिश करनेवाला झिपय्या के सभी साथी अपनी-अपनी तरह से ग़रीबी के विरुद्ध संघर्ष करते हैं। श्री साधू ने अपनी इस कथा-कृति में मुम्बई में रहनेवाले समाज के सबसे निचले तबके की महागाथा लिखी है। यह रचना निश्चय ही उनकी सृजनयात्रा में भी एक कीर्तिमान है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1998
Edition Year 1998, Ed. 1st
Pages 244p
Translator S. Vidhya Sahasrabuddhe
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18.5 X 12.5 X 2
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Author: Arun Sadhu

अरुण साधू

जन्म : 17 जून, 1941; परतवाडा, अमरावती, महाराष्ट्र।

मराठी के सुपरिचित उपन्यासकार और प्रखर पत्रकार। नागपुर विद्यापीठ से बी.एससी. करने के बाद पुणे और मुम्बई में पत्रकारिता में प्रवेश। ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’, ‘स्टेट्समैन’ जैसे प्रमुख अख़बारों में सेवाकार्य के पश्चात् ‘फ़्री-प्रेस जर्नल’, मुम्बई के सम्पादक।

मराठी में अब तक ‘सिंहासन’, ‘त्रिशंकु’, ‘विस्फोट’, ‘शोधयात्रा’, ‘झिपय्या’, ‘बहिष्कार’, ‘मुम्बई दिनांक’ आदि उपन्यास; पाँच कहानी-संग्रह और एक बहुचर्चित नाटक प्रकाशित। अधिकांश उपन्यास हिन्दी में अनूदित। राजकीय विषयों पर अनेक कृतियों के अलावा मराठी और अंग्रेज़ी अख़बारों में स्तम्भ-लेखन। अपने लेखक के माध्यम से भारतीय साहित्य की उल्लेखनीय सेवा के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 25 सितम्बर, 2017 को मुम्बई में।

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