Hindi Dalit Sahitya : Samvedana Aur Vimarsh-Hard Back

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दलित रचनाकार और विमर्शकार चाहे जितना भी शहादती तेवर अपनाएँ, अपने पूर्व के कम्युनिस्टों की तुलना में इन्होंने सुरक्षित विकेट पर ही खेला है। अपराध-बोध से पीड़ित पारम्परिक चेतना सुरक्षात्मक रही है अथवा चुप। प्रगतिशील चेतना ने भी विरोध न कर दलित साहित्य संवेदना के कतिपय अतिरेकों के विरुद्ध मात्र सावधान किया है। इसकी आलोचना मित्रवत् रही है।

प्रथम आधुनिक दलित होने का गौरव पटना के दलित कवि ‘हीरा डोम’ को दिया जा सकता है जिनकी एक कविता ‘अछूत की शिकायत’, सरस्वती में 1914 में प्रकाशित हुई थी। इसमें दलित पीड़ा का मार्मिक अंकन है। 1914 में अपने जाति-नाम ‘डोम’ का उल्लेख उनके दलितवादी स्वर का भी परिचायक है।

...कुल मिलाकर, इसके राजनीतिक क्षितिज पर जो घटित हुआ है, लगभग वही इसके साहित्यिक फलक पर भी। अब दलित बुद्धिधर्मी पारम्परिक जातिबद्ध सोच से मुक्त किसी रैडिकल सामाजिक विवेक एवं नैतिकता के अग्रधावक नहीं लगते। इसी कारण ये अपने नव-अगड़ों की शिनाख़्त से बचते हैं। आरम्भिक सर्जनात्मक विस्फोट के बाद दलित कविता ने अपने लिए कोई नया पथ अन्वेषित करने की चिन्ता नहीं दिखाई।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 190p
Price ₹475.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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P.N. Singh

Author: P.N. Singh

डॉ. पी.एन. सिंह

जन्म : 01 जुलाई, 1942; वासुदेवपुर, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : एम. ए. (अंग्रेज़ी), पीएच.डी.।

ज्ञानभारती विद्यापीठ, कोलकाता 1964-68; महाराजा वीर विक्रम शासकीय कॉलेज, अगरतला 1968-71; स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में 1971-2002, विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग।

कृतियाँ : ‘भारतीय वाल्तेयर और मार्क्स : बी.आर. अम्बेडकर’, ‘मंडल आयोग : एक विश्लेषण’; ‘नायपॉल का भारत’, ‘गाँधी अम्बेडकर लोहिया’, ‘उच्चशिक्षा का संकट : समस्या और समाधान के बिन्दु’, ‘रामविलास शर्मा और हिन्दी जाति’, ‘अम्बेडकर प्रेमचंद और दलित समाज’, ‘हिन्दी दलित साहित्य : संवेदना और विमर्श’, ‘Society, Culture, Literary Theory and Criticism’, ‘निष्प्रभ आईना’ आदि।

सम्पादन : ‘कर्मयोगी की अविराम यात्रा’, ‘उच्च शिक्षा की चुनौतियाँ’, ‘प्रभु नारायण सिह : गाजीपुर की दृष्टि में’, ‘बुद्धिधर्मी डॉ. सरजू तिवारी’ इत्यादि पुस्तकों तथा जून 1989 से ‘समकालीन सोच' पत्रिका का सम्पादन।

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत : ‘गाँधी और उनका वर्धा’ (2012), ‘कुबेरनाथ राय : साहित्यिक-सांस्कृतिक दृष्टि’ (2012), ‘अम्बेडकर चिन्‍तन और हिन्दी दलित साहित्य’ (2009)।

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