Gandhi : Charkha Se Swaraj-Hard Back

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9789388211697
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प्रस्तुत कृति वर्तमान सन्दर्भ में गाँधी विचार समझने का प्रयास है, गाँधी साहित्य विचार का अध्ययन, प्रश्न, जिज्ञासाएँ इस कृति के लेखन का आधार हैं।

महात्मा गाँधी वर्तमान भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक आन्दोलन के लिए प्रासंगिक हैं। इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुका भारत साधन सम्पन्न विकसित राष्ट्र, आर्थिक साम्राज्य विस्तार की भावना से भूमंडलीकरण, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण जैसी नीतियों के सहारे विकासशील राष्ट्रों के प्रचुर संसाधनों पर नियंत्रण करने में लगभग सफल है। पूँजीवादी आर्थिक अर्थव्यवस्था को मानवता के ख़‍िलाफ़ माननेवाले गाँधी जी ने देशी पूँजीवादी को उससे भी घातक बताया।

गाँधी जी चाहते थे कि धर्म की शक्ति विघटनकारी होने के बजाय मैत्रीपूर्ण हो। सभी धर्मवाले एक-दूसरे के सम्पर्क से अपने को बेहतर इन्सान बनाने की कोशिश करें तो हमारा यह संसार मनुष्य के रहने के लिए अधिक सुन्दर स्थान बनने के साथ ही ईश्वर का सन्धि बन जाएगा।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 164p
Price ₹400.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Suman Jain

Author: Suman Jain

प्रो. सुमन जैन

अनेक पुस्तकों की लेखिका प्रो. सुमन जैन की महत्त्वपूर्ण प्रकाशित रचनाएँ हैं—‘हिन्दी साहित्य की अन्तर्यात्रा : गोरखनाथ से नागार्जुन’, ‘महामना के दस्तावेज़’, ‘गाँधी विचार और साहित्य’, ‘छायावादोत्तर हिन्दी कविता के

रचनात्मक सरोकार’, ‘आचार्य विनोबा की साहित्य-दृष्टि’ (मध्यकालीन सन्‍तों के परिप्रेक्ष्य में), ‘दलित विमर्श : हिन्दी एवं भारतीय अंग्रेज़ी साहित्य के सन्दर्भ में’, ‘शिक्षा और शिक्षकों की रचनाधर्मिता’, ‘बदले नज़र नज़ारा बदले’, ‘सामुदायिक श्रीवृद्धि की रचनात्मक पहल’, ‘जय जगत की चर्चा-अर्चा’, ‘मूल्यपरक शिक्षा’, ‘आचार्य राममूर्ति’

(पुस्तिका), ‘हिन्दी विश्व साहित्य कोश : खण्ड-2’ (सह-सम्पादन)। इसके अलावा लगभग 160 लेख, शोध-पत्रों का प्रकाशन तथा पत्र-पत्रिका, स्मारिका सम्पादन।

सम्प्रति : प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

 

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