विक्रम सेठ अपनी अनूठी शैली के लेखक हैं। उनकी किसी भी पुस्तक में किसी क़िस्म का दोहराव नहीं होता, फिर भी उनकी प्रत्येक कृति पर उनकी अपनी पहचान अंकित होती है। कुछ आलोचक इस पहचान को ‘जीवन की अचूक साँस’ तो कुछ उसे ‘अनुल्लंघनीय सच्चाई’ कहते हैं।

‘ए सूटेबुल ब्वाय’ के बाद उनका यह पहला उपन्यास है जिसमें वे एक सघन और संवेदनशील कहानी लेकर आए हैं। इस कहानी में संगीत है, कला है, हास्य है और गुरु-गम्भीर अहसास भी। एक स्तर पर यह कहानी प्यार के बारे में है—एक स्त्री का प्यार जो मिलकर खो जाती है, फिर मिलती है और फिर खो जाती है। विक्रम सेठ इस उपन्यास में पुनः जीवन के विभ्रम की रचना करते हैं। और सबसे ऊपर यह पुस्तक संगीत के बारे में है और इस बारे में कि कैसे संगीत का प्यार जीवन के बीचोबीच एक घनीभूत धारा की तरह प्रवहमान रहता है।

तीखे दु:ख और दीप्तिमान मेधा की पुनरावृत्तियों के द्वारा यह उपन्यास विक्रम सेठ के लेखकीय व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलू पाठक के सम्मुख खोलता है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 444p
Translator Mojez Michael
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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You're reviewing:Ek Saa Sangit
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Vikram Seth

Author: Vikram Seth

विक्रम सेठ

20 जून, 1952 में जन्मे विक्रम सेठ की शिक्षा-दीक्षा एक अर्थशास्त्री के रूप में हुई और इंग्लैंड, कैलिफ़ोर्निया, चीन और भारत में उन्होंने कई वर्ष गुज़ारे। उनकी पुस्तकों में प्रमुख
हैं : ‘द गोल्डन गेट’, ‘ए सूटेबुल ब्वाय’, ‘एन इक्‍वल म्‍यूजिक’ (उपन्‍यास); ‘एरियन द डॉल्फ़िन’ (गीति‍ नाट्य); ‘फ़्रॉम हेवन लेक : ट्रेवल्स थ्रो सीक्यांग एंड तिब्बत’ (यात्रा-वृत्‍तान्‍त);

‘थ्री चाइनीज़ पोएट्स’ (अनुवाद) और ‘बीस्टली टेल्स’ समेत कई कविता-पुस्तकें। ‘साहित्‍य अकादेमी पुरस्‍कार’ सहित कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित।

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