Dhimi Wali Fast Passenger

Author: Mark Tully
Translator: Prabhat Singh
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Dhimi Wali Fast Passenger
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पचास से अधिक वर्षों तक भारतीय राजनीति और समाज को बेहद क़रीब से देखने-समझने वाले यशस्वी पत्रकार मार्क टली की दूसरी कथाकृति है—धीमी वाली फ़ास्ट पैसेंजर। इस किताब की कहानियों के लिए वह एक बार फिर अपनी मशहूर बेस्टसेलर, हार्ट ऑफ़ इंडिया के इलाक़े में लौटते हैं, और हमें बीती सदी के आठवें दशक के उस दौर में ले जाते हैं, जब भारत चौराहे पर था और आर्थिक उदारीकरण की बयार बहने वाली थी।

पूर्वी उत्तर प्रदेश की ग्रामीण दुनिया को रेखांकित करती ये कहानियाँ तमाम अविस्मरणीय लोगों की ज़िन्दगी का ख़ाका हैं—ऐसे साधारण लोग जो ढुलमुल हुकूमत, बेईमानी, भ्रष्टाचार और समाज में ऊँच-नीच जैसी ख़ामियों से पार पाने के तरीक़े खोजते हैं। सन्त रविदास का मन्दिर बनाने के लिए एक दब्बू दलित बुज़ुर्ग परम्पराओं को चुनौती देता है; एक किसान की साफ़गो और चतुर पत्नी अपने परिवार को अपने पति की मूर्खताओं से बचाती है; एक ख़त्म हो रही रेलवे लाइन का वजूद बचाने के लिए एक पूर्व प्रधानाध्यापक आम लोगों की लड़ाई का नेतृत्व करती है; एक राजनेता का बेटा इस सच से वाकिफ होता है कि राजनीति कुल मिलाकर पारिवारिक पेशा नहीं है। एक शान्तिप्रिय और निरुत्साही पुलिस सब-इंस्पेक्टर हत्या के एक हाई-प्रोफाइल मामले को सुलझाकर सबको चौंका देता है; एक अनीश्वरवादी शख़्स भिक्षु बन जाता है।

धीमी वाली फ़ास्ट पैसेंजर उत्तर भारत के गाँवों में लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की हलचलों के बारे में जोश और ज़हानत, संवेदना और करुणा के नज़रिये से दर्ज की गई कहानियों का बेहद दिलकश संग्रह है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 264p
Translator Prabhat Singh
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Author: Mark Tully

मार्क टली

मार्क टली का जन्म 24 अक्टूबर, 1935 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ। उनकी पढ़ाई भारत और इंग्लैंड में हुई। 1964 में वह ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की सेवा में शामिल हुए और अगले साल संवाददाता के तौर पर भारत आ गए। 1994 में बीबीसी की नौकरी से इस्तीफ़ा देने तक, तीस वर्षों तक उन्होंने दक्षिण एशिया में सभी प्रमुख घटनाओं की रिपोर्टिंग की। 1994 से दिल्ली में रहते हुए वह स्वतंत्र पत्रकार और प्रसारक के तौर पर काम करते आए हैं। दक्षिण एशिया पर उनकी कई किताबें छपी हैं जिनमें, ‘अमृतसर : मिसेज़ गांधी’ज़ लास्ट बैटल’ (सतीश जैकब के साथ), ‘राज टू राजीव : 40 ईयर्स ऑफ़ इंडियन इंडिपेंडेंस’ (ज़रीर मसानी के साथ), ‘नो फ़ुल स्टॉप्स इन इंडिया’, ‘इंडिया इन स्लो मोशन’ (गिलियन राइट के साथ), ‘नॉन-स्टॉप इंडिया’ और कहानियों का संग्रह ‘द हार्ट ऑफ़ इंडिया’ शामिल हैं।

भारत सरकार ने मार्क टली को 1992 में ‘पद्म श्री’ और 2005 में  ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया। 2002 में उन्हें ‘केबीई’ (नाइट कमांडर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि मिली।

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