Dhalti Saanjh Ke Musafir-Hard Cover

ISBN: 9789382193012
Edition: 2018, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
Special Price ₹382.50 Regular Price ₹450.00
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एक दिन जब आकाश साफ़ हो तब किसी ऊँचे स्थान से सुबह के समय उगते सूरज की छटा देखें। फिर उसी स्थान से सायंकाल में भी ढलते सूरज की छटा देखें। ढलता सूरज उगते सूरज से कम प्रकाशवान नहीं होता। यह बात वृद्धावस्था के लिए भी सत्य है।

बुढ़ापा आते ही निराशाजनक स्वर सुनाई पड़ते हैं। वास्तविकता यह है कि वृद्धावस्था कोई रोग नहीं है, शरीर की एक प्रक्रिया है, प्राकृतिक क्रम को हमें स्वीकार कर लेना पड़ता है।

वृद्धावस्था में अनेक शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव आते हैं जिनके साथ तालमेल बिठाना आवश्यक है। हर व्यक्ति की परिस्थितियों से तालमेल बिठाने की क्षमता भी अलग-अलग होती है। इस अवस्था में पग-पग पर अनिश्चितता भी होती है।

बुज़ुर्गों में स्वास्थ्य की समस्याएँ जटिल होती हैं। वे स्वयं अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक से नहीं समझते हैं क्योंकि कई लोगों में एक से अधिक बीमारियाँ मौजूद होती हैं। इसलिए उनका इलाज भी कठिन होता है। अनेक औषधियों के सेवन से उनके दुष्प्रभाव भी उन बीमारियों में सम्मिलित हो जाते हैं। अनेक बुज़ुर्ग इलाज का ख़र्च वहन करने में अक्षम होते हैं, तब बुज़ुर्गों को और कठिनाइयाँ हो जाती हैं। नियमित एवं सादा खान-पान, स्वास्थ्य के प्रति चेतना, सुबह-शाम टहलना, योग, व्यायाम आदि में नियमित रहना रोग निराकरण में बहुत मददगार होता है। प्रत्येक बुज़ुर्ग को दूसरे बुज़ुर्गों की देखभाल के लिए समय भी निकालना चाहिए जिससे उनको राहत मिलेगी।

आपकी जीवन-संध्या सुखद होगी या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने इस जीवन संध्या के लिए सार्थक योजना बनाई थी या नहीं।

इस पुस्तक लेखन का उद्देश्य यह है कि पाठकों में इस अवस्था के बारे में जागरूकता आए।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2018, Ed. 4th
Pages 180p
Price ₹450.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
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Pratapmal Devpura

Author: Pratapmal Devpura

प्रतापमल देवपुरा

शिक्षा : एम.ए., एम.एससी., एम.एड.।

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर से प्रायोजना अधिकारी पद से मार्च, 1999 में सेवानिवृत्त।

लेखन : जनसंख्या, किशोरावस्था, पर्यावरण विकास, पंचायतीराज, शिक्षा, विज्ञान आदि विषयक 60 लेख एवं 12 पुस्तकें प्रकाशित।

सम्मान : हिन्दी में मौलिक पुस्तक ‘जनसंख्या शिक्षा’ के लिए वर्ष 1995-96 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत। भारतीय विज्ञान लेखक संघ द्वारा तीसरी विज्ञान संचार कांग्रेस, 2003 में विज्ञान के लोकव्यापीकरण एवं संचार के लिए चिरस्थायी प्रयत्न हेतु सम्मानित।

सम्प्रति : ग़ैर-सरकारी संस्था विद्याभवन सोसायटी, उदयपुर में पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण एवं सामग्री-निर्माण के कार्य में संलग्न।

 

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