Cruser Sonata

‘दो हुस्सार’ तोल्स्तोय की पहली गल्प रचना थी जो उनके निजी अनुभवों से इतर विषयवस्तु पर थी। पिता और पुत्र के नितान्त भिन्न व्यक्तित्वों और कारनामों के रूप में तोल्स्तोय ने दो पीढ़ियों को आमने–सामने खड़ा किया है। ‘सुखी दम्पती’ (1859) में तोल्स्तोय ने अपने निजी जीवन की घटनाओं को बड़ी ख़ूबसूरती से कला में ढाला है। कहानी के पहले भाग में एक संवेदनशील सत्रह वर्षीय युवती के मन में अपने से दूनी उम्र के व्यक्ति के लिए उपजते प्रेम का अद्भुत, काव्यात्मक वृत्तान्त है, पर पहले भाग का उल्लासमय, काव्यात्मक माहौल दूसरे भाग में वैवाहिक जीवन के तनावों और खिंचावों से छिन्न–भिन्न हो जाता है।
‘इवान इलिच की मौत’ एक सामान्य आदमी की कहानी है जिसे मौत की दहलीज़ पर अपने व्यतीत जीवन की निरर्थकता का अहसास होता है। इवान इलिच के जीवन के अन्तिम क्षणों की अनुभूति धार्मिक मुक्ति विषयक तोल्स्तोय की अवधारणा को प्रस्तुत करती है, लेकिन इन मिथ्याभासों के ऊपर रचना का गम्भीर मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद हावी है। ‘क्रूज़र सोनाटा’ में ऐन्द्रिक प्यार और वासना के विरुद्ध संघर्ष को विषय बनाया गया है और नि:स्वार्थ प्यार के ईसाई सिद्धान्त की वकालत की गई है, लेकिन यहाँ भी तोल्स्तोय के धर्मोपदेशक के पहलू पर वस्तुस्थिति का आलोचनात्मक यथार्थवादी चित्रण हावी है। ‘इंसान और हैवान’ कहानी का मुख्य ‘नैरेटर’ एक घोड़ा है। तोल्स्तोय की अन्य प्रारम्भिक रचनाओं की तरह इस कहानी में भी मानव समाज की कृत्रिमता और परम्पराबद्धता पर, ख़ासकर सम्पत्ति की संस्था पर व्यंग्य किया गया है। ‘नाच के बाद’ (1903) में पचहत्तर वर्षीय तोल्स्तोय ने एक बार फिर कज़ान विश्वविद्यालय में युवा छात्र के रूप में अपने एक प्रेम सम्बन्ध से प्रेरणा ली है। अपने गहरे यथार्थवाद और मनोवैज्ञानिक पड़ताल के उपकरणों से वह अतीत के वातावरण को बेहद जीवन्त और ताज़गी-भरे ढंग से पाठकों के सामने सजीव करते हैं। लेकिन कहानी के अन्त में तोल्स्तोय पाठकों के मन पर राज्य के प्रति नफ़रत का भाव छोड़ने में सफल रहते हैं जिसे वह न केवल नागरिकों का शोषण करने बल्कि उनके मनोबल को तोड़ डालने की एक साज़िश मानते हैं।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2003 |
Edition Year | 2003, Ed. 1st |
Pages | 372P |
Translator | Bhishma Sahni |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22.2 X 15 X 3 |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here