Cinema Ko Padhte Huye

Author: Shivani Rakesh
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Cinema Ko Padhte Huye
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सामान्य दर्शक फिल्मों को सिर्फ मनोरंजक दृश्य माध्यम के रूप में देखता है, लेकिन शिवानी राकेश की इस किताब की मूल स्थापना ही यही है कि फिल्में सिर्फ देखी ही नहीं जातीं, बल्कि पढ़ी भी जाती हैं। रचनाकार ने कई विश्व स्तरीय सिने-सिद्धान्तकारों का उद्धरण देते हुए यह स्पष्ट किया है कि सिनेमा के इस ‘पाठ’ के लिए हमें फिल्मों को सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक अनुशासनों के बीच रखकर परखना होता है। यदि हम इतिहास की समझ के साथ इन फिल्मों को देखते हैं तो उन्हें नए नजरिये से देखने का मौका मिलता है। यह किताब हिन्दी सिनेमा की कई प्रमुख फिल्मों का विश्लेषण करते हुए उन्हें एक विमर्श के रूप में देखने का दृष्टिकोण देती है और यही इसकी सफलता है। लेखक ने भारतीय सिनेमा की अनेक फिल्मों का गहन विश्लेषण किया है। पुस्तक में अन्तर्वस्तु विश्लेषण पद्धति का उपयोग करते हुए कई चर्चित और कलात्मक रूप से उत्कृष्ट कही जाने वाली फिल्मों के पात्रों, कथानकों और संवादों का विस्तृत अध्ययन किया है। इस किताब में आप महिलाओं के मुद्दों पर बनी फिल्में, प्रवासी सिनेमा, युद्ध आपदा और दूसरे कई भिन्न विषयों पर आधारित फिल्मों के बारे में विस्तार से जान सकते हैं। भारतीय सिनेमा के इतिहास से लेकर सिनेमा में उठाए गए सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर भी इस किताब में विस्तृत चर्चा की गई है। मुझे यकीन है कि यह किताब छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक उपयोगी सन्दर्भ सामग्री के रूप में अपनी जगह बनाएगी।

—दिनेश श्रीनेत

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 256p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Shivani Rakesh

Author: Shivani Rakesh

शिवानी राकेश

शिवानी राकेश का जन्म 6 नवम्बर, 1987 में बुंदेलखंड के जालौन जिले के कोंच कस्बे में हुआ। प्राथमिक से लेकर इंटरमीडिएट तक की उनकी शिक्षा उरई में हुई। उच्च शिक्षा लखनऊ में। उन्होंने ‘एमिटी यूनिवर्सिटी’ से 2006 में ‘बैचलर ऑफ़ फ़ाइन आर्ट्स’ की डिग्री प्राप्त की। तदुपरान्त नोएडा स्थित मल्टी नेशनल कम्पनी ‘मैजिक सॉफ्टवेयर’ में ई-बुक प्रोडक्शन और एनीमेशन डिविजन में काम किया। तीन सालों तक नौकरी करने के बाद पुनः लखनऊ लौटकर लखनऊ विश्वविद्यालय के मास कम्युनिकेशन विभाग से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। वहाँ ‘हाउ एडवरटाइजिंग बीकेम यंग’ शीर्षक से लघु शोध प्रबन्ध लिखा। चित्रकारी, एनिमेशन और सिनेमा में उनकी गहरी दिलचस्पी है। ‘सिनेमा को पढ़ते हुए’ उनकी पहली पुस्तक है।

ई-मेल : shivani.niranjan@gmail.com

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