यह उपन्यास कई मायनों में विशेष है। पहली विशेषता इसकी यह है कि यह प्रेम के विषय में है, और आज के उन उपन्यासों से भिन्न है जो केवल आलोचक-सन्तोष और ‘पोलिटिकली करेक्टनेस’ के फेर में पड़कर निहायत ही अप्रामाणिक अनुभवों के विवरणों से भरे होते हैं। यह उपन्यास समाज से, उसकी कटु सच्चाइयों से भी दूर नहीं, बल्कि अपने पाठ में प्रेम और उसकी पीड़ा के सघन, प्रामाणिक और छू जानेवाले बिम्बों को इतनी ईमानदारी से उकेरता है, कि हमें हमारे वर्तमान समाज में प्रेम की असम्भवता स्पष्ट दिखने लगती है।

यही सघनता इसकी दूसरी विशेषता है। यह कथा चमत्कार पर निर्भर नहीं है, न यह चौंकानेवाले स्थिति-संयोजन का सहारा लेती है, बस अपनी पीड़ा को कुरेदते हुए, जीवन के साथ मद्धम गति से बढ़ते हुए हमें अपने साथ बनाए रखती है।

और तीसरी विशेषता इस उपन्यास की यह है कि यह दो लेखकों की संयुक्त रचना है, दोनों युवा हैं और उनकी यह पहली पुस्तक है। इस औपन्यासिक कृति से हम अपने समय की उस युवा रचनात्मकता से रू-ब-रू होते हैं जो अपनी पारम्परिक साहित्यिक संवेदना से भी उतनी ही जुड़ी है, जितनी अपने आधुनिक व्यक्ति-बोध से।

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Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2009
Pages 180p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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You're reviewing:Chay Sharab Aur Zehar
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Author: Rohit Michu

रोहित मीचू

जन्म : 14 नवम्बर, 1978 को इलाहाबाद के एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में।

दादा स्व. श्री त्रिलोकी नाथ मीचू की प्रेरणास्वरूप अल्प आयु में ही लेखन आरम्भ किया। स्कूल और कॉलेज की पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। सन् 1996 और 1999 के मध्य इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। शिक्षा के साथ या कहिए कि शिक्षा से ज़्यादा इनकी रुचि उर्दू साहित्य, ग़ालिब, मीर और ओशो दर्शन में बनी। यहीं पर अपने मित्र और इस उपन्यास के सह-लेखक कृष्ण चन्द्र त्रिपाठी के सम्पर्क में आए और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्वच्छन्द प्रांगण की सदियों पुरानी पठन-पाठन-लेखन की संस्कृति में घुल-मिल गए। रोहित नज़्में और ग़ज़लें भी लिखते हैं।

दिल्ली से 2002 में व्यापार प्रबन्धन में स्नातकोत्तर करने के बाद सम्प्रति भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की एक मार्केटिंग सर्विसेज कम्पनी में कार्यरत हैं।

ई-मेल : r_michu@yahoo.com

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