Beech Ka Rasta Nahin Hota-Hard Back

Special Price ₹505.75 Regular Price ₹595.00
15% Off
In stock
SKU
9788126707430
- +
Share:

पाश की कविता हमारी क्रान्तिकारी काव्य-परम्‍परा की अत्यन्त प्रभावी और सार्थक अभिव्यक्ति है। मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण पर आधारित व्यवस्था के नाश और एक वर्गविहीन समाज की स्थापना के लिए जारी जनसंघर्षों में इसकी पक्षधरता बेहद स्पष्ट है। साथ ही यह न तो एकायामी है और न एकपक्षीय, बल्कि इसकी चिन्‍ताओं में वह सब भी शामिल है, जिसे इधर प्रगतिशील काव्य-मूल्यों के लिए प्रायः विजातीय माना जाता रहा है।

अपनी कविता के माध्यम से पाश हमारे समाज के जिस वस्तुगत यथार्थ को उद्घाटित और विश्लेषित करना चाहते हैं, उसके लिए वे अपनी भाषा, मुहावरे और बिम्‍बों-प्रतीकों का चुनाव ठेठ ग्रामीण जीवन से करते हैं। घर-आँगन, खेत-खलिहान, स्कूल-कॉलेज, कोर्ट-कचहरी, पुलिस-फौज और वे तमाम लोग जो इन सबमें अपनी-अपनी तरह एक बेहतर मानवीय समाज की आकांक्षा रखते हैं, बार-बार इन कविताओं में आते हैं। लोक-जीवन में ऊर्जा ग्रहण करते हुए भी ये कविताएँ प्रतिगामी आस्थाओं और विश्वासों को लक्षित करना नहीं भूलतीं और उनके पुनर्संस्कार की प्रेरणा देती हैं। ये हमें हर उस मोड़ पर सचेत करती हैं, जहाँ प्रतिगामिता के ख़तरे मौजूद हैं; फिर ये ख़तरे चाहे मौजूदा राजनीति की पतनशीलता से पैदा हुए हों या धार्मिक संकीर्णताओं से; और ऐसा करते हुए ये कविताएँ प्रत्येक उस व्यक्ति से संवाद बनाए रखती हैं जो कल कहीं भी जनता के पक्ष में खड़ा होगा। इसलिए आकस्मिक नहीं कि काव्यवस्तु के सन्‍दर्भ में पाश नाज़िम हिकमत और पाब्लो नेरुदा जैसे क्रान्तिकारी कवियों को ‘हमारे अपने कैम्प के आदमी’ कहकर याद करते हैं और सम्‍बोधन-शैली के लिए महाकवि कालिदास को।

संक्षेप में, हिन्दी और पंजाबी साहित्य से गहरे तक जुड़े डॉ. चमनलाल द्वारा चयनित, सम्‍पादित और अनूदित पाश की ये कविताएँ मनुष्य की अपराजेय संघर्ष-चेतना का गौरव-गान हैं और हमारे समय की अमानवीय जीवन-स्थितियों के विरुद्ध एक क्रान्तिकारी हस्तक्षेप।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1989
Edition Year 2023, Ed. 12th
Pages 189p
Price ₹595.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Beech Ka Rasta Nahin Hota-Hard Back
Your Rating
Pash

Author: Pash

पाश

जन्म : 9 सितम्‍बर, 1950। जन्म-स्थान : तलवंडी सलेम नामक गाँव, तहसील–नकोदर, ज़िला–जालन्‍धर (पंजाब)। पूरा नाम : अवतार सिंह संधू। पंजाबी के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कवि। पहली कविता 15 वर्ष की आयु में लिखी। पहली बार कवि के रूप में 1967 में छपे।

हायर सेकंडरी के बाद प्राइवेट रूप में बी.ए.। गाँव में स्कूल खोला। बाद में ‘सिआड़’ (1972-73), ‘हेम ज्योति’ (1974-75) और हस्तलिखित ‘हाक’ (1982) नामक पत्रिकाओं का सम्‍पादन। 1985 में अमेरिका चले गए। वहाँ ‘एंटी-47’ (1986-88) का सम्‍पादन करते हुए ख़ालिस्तानी आन्दोलन के विरुद्ध सशक्त प्रचार-अभियान। 1978 में शादी। 1980 में एक बेटी का जन्म।

1967 में सी.पी.आई. से जुड़े। 1969 में नक्सलवादी राजनीति से। 1988 में कुछ दिनों के लिए घर आए कि 23 मार्च को (अमेरिका वापसी से दो दिन पहले) गाँव में ही अपने एक अभिन्न मित्र हंसराज के साथ ख़ालिस्तानी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार।

प्रकाशित कविता-संग्रह : लौह कथा (1970); उड्डदे बाजाँ मगर (1974); साडे समियाँ विच (1978); लड़ांगे साथी (1988)।

हिन्दी में अनूदित : बीच का रास्ता नहीं होता, समय ओ भाई समय।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top