Awadh Ke Pramukh Vrat-Parva-Tyohar Evam Riti-Rivaj

Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹359.10 Regular Price ₹399.00
10% Off
In stock
SKU
Awadh Ke Pramukh Vrat-Parva-Tyohar Evam Riti-Rivaj
- +
Share:

हमारा भारतवर्ष मुख्य रूप से कथा धर्मी देश है। तप-साधना से तो नव-नव ज्ञान की सूझें मिलती ही हैं पर चित्त की रस तृप्ति द्वारा प्रेरित संरचनात्मक धर्मिता से भी हमारे देश ने कुछ कम उपलब्धियाँ नहीं पाईं। इस बात को मैं बार-बार कहते हुए भी नही अघाता हूँ कि मुख्य रूप से भारत ही एक ऐसा देश है जिसने पुराण कथाओं के संग्रह और भारत जैसे आसमुद्र हिमालय वाले महादेश में वैष्णवधर्मी एक राष्ट्रीयता का निर्माण करने के लिए नैमिषारण्य में कथा यूनिवर्सिटी बनाई थी।

लोक साहित्य-संगीत और कला में गहन रुचि रखने के साथ ही डॉ. विद्या विन्दु सिंह स्वयं भी कथाएँ लिखती हैं। कामना करता हूँ कि विदुषी लेखिका का कर्म और यश उत्तरोत्तर वर्द्धमान हो।

—अमृतलाल नागर 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 272p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Awadh Ke Pramukh Vrat-Parva-Tyohar Evam Riti-Rivaj
Your Rating
Dr. Vidya Vindu Singh

Author: Dr. Vidya Vindu Singh

डॉ. विद्या विन्दु सिंह

डॉ. विद्या विन्दु सिंह का जन्म 2 जुलाई, 1945 को ग्राम जैतपुर, सोनावाँ, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी भाषाविज्ञान), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पी-एच.डी., गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी.एड. और आगरा विश्वविद्यालय से डी.लिट. की उपाधि प्राप्त की।

उपन्यास, कहानी, कविता, लोक साहित्य आदि विधाओं में उनकी 96 पुस्तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने कई पुस्तकों और पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। उनके कविता-संग्रह ‘सच के पाँव’ का नेपाली, जापानी, अंग्रेजी समेत विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। आकाशवाणी, दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों से निरन्तर प्रसारण तथा देश-विदेश की संस्थाओं, विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध रहीं। भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक कार्यालय की संयुक्त हिन्दी सलाहकार समिति के लिए राजभाषा विभाग द्वारा नामित सदस्य। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ से संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुईं।

उन्हें मार्च 2022 में ‘पद्मश्री’ से विभूषित किया गया। ‘सच के पाँव’ (कविता-संग्रह) के लिए साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत हुईं। इसके अतिरिक्त देश-विदेश की 156 से अधिक संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मान एवं पुरस्कार मिले हैं।

सम्प्रति : कृष्णप्रताप विद्या विन्दु लोकहित न्यास की संस्थापक अध्यक्ष तथा साहित्य और समाज सेवा।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top