Andhi Chhalaang

Author: Mandakranta Sen
Translator: shyama singh
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Andhi Chhalaang
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नाम तिथि। एक मध्यवित्त परिवार की लड़की। चेहरा अति साधारण। बी.ए. की छात्रा। जीवन की धुरी विद्यालय और घरेलू व्यस्तताएँ। अचानक एक दिन किसी की नज़र से नज़र मिली और तिथि के शरीर में बिजली दौड़ गई। लड़के का नाम पार्थ। तिथि की एक सहेली का चचेरा भाई। आयु में उससे बारह साल बड़ा। परिवार के विरोध के बावजूद तिथि पार्थ से विवाह करके निहायत निम्नवर्गीय परिस्थितियों में अपने दाम्पत्य जीवन का आरम्भ करती है। और, किराए के इसी अकेले कमरे में उसके सामने जीवन का वह पक्ष खुलता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बांग्‍ला में एक कवि के रूप में प्रतिष्ठित व चर्चित मन्दाक्रान्ता सेन अपने इस पहले उपन्यास में स्त्री-अस्मिता को एक नया विस्तार और नया चेहरा देने का प्रयास करती हैं; साथ ही अपनी सम्‍भावनाओं की तरफ़ भी पाठकों का ध्यान आकर्षित कराती हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2004
Pages 212p
Translator shyama singh
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Mandakranta Sen

Author: Mandakranta Sen

मन्‍दाक्रान्‍ता सेन

जन्म : 15 सितम्बर, 1972 (कोलकाता)।

शिक्षा : नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज में एम.बी.बी.एस. की छात्रा रहीं। परीक्षा बीच में छोड़कर साहित्य-रचना का क्षेत्र चुना।

मूलतः कवि। पहला काव्य-संग्रह ‘हृदय अबद्ध मेये’, जिस पर 1999 में ‘आनन्द पुरस्कार’ मिला।

यह उनका पहला उपन्यास है, बांग्‍ला में जिसका प्रकाशन ‘झपताल’ शीर्षक से हुआ।

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