नाम तिथि। एक मध्यवित्त परिवार की लड़की। चेहरा अति साधारण। बी.ए. की छात्रा। जीवन की धुरी विद्यालय और घरेलू व्यस्तताएँ। अचानक एक दिन किसी की नज़र से नज़र मिली और तिथि के शरीर में बिजली दौड़ गई। लड़के का नाम पार्थ। तिथि की एक सहेली का चचेरा भाई। आयु में उससे बारह साल बड़ा। परिवार के विरोध के बावजूद तिथि पार्थ से विवाह करके निहायत निम्नवर्गीय परिस्थितियों में अपने दाम्पत्य जीवन का आरम्भ करती है। और, किराए के इसी अकेले कमरे में उसके सामने जीवन का वह पक्ष खुलता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बांग्ला में एक कवि के रूप में प्रतिष्ठित व चर्चित मन्दाक्रान्ता सेन अपने इस पहले उपन्यास में स्त्री-अस्मिता को एक नया विस्तार और नया चेहरा देने का प्रयास करती हैं; साथ ही अपनी सम्भावनाओं की तरफ़ भी पाठकों का ध्यान आकर्षित कराती हैं।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | shyama singh |
Editor | Not Selected |
Edition Year | 2004 |
Pages | 212p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 2 |