बहुत भाग्यशाली होते हैं वे लोग, जिन्हें उपयुक्त जीवन साथी मिल जाता है, अन्यथा देखने में तो यही आता है कि दाम्पत्य की गाड़ी को कोई एक ही खींच रहा है, खींचे चला जा रहा है और दूसरा अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के प्रति सर्वथा लापरवाह बना अपने किसी ऐश्वर्यलोक की मीनार पर बाँसुरी बजा रहा है। ऐसी बाँसुरी बजती है तभी ममता जैसी नायिकाओं का जन्म होता है, जो किसी एक व्यक्ति के प्रति ही नहीं, पूरी सृष्टि के प्रति स्त्रियोचित ममता, कर्त्तव्यपरायणता और विवेक से सम्पन्न होती हैं। ऐसी ही नायिकाएँ अपने दाम्पत्य का नरक भुगत रहे नायकों को अपने स्नेहिल स्पर्श का मरहम लगाकर जीने का सम्बल प्रदान करती हैं, वरना वे कब के इस संसार को अलविदा कह चुके होते।
किसी युगल के बीच आई यह दूसरी स्त्री हमेशा से इस संसार में आकर्षण का केन्द्र रही है, विष पीकर इस स्त्री ने प्रायः ही संसार को अमृत और ‘अभय’ प्रदान किया है, मगर समाज इससे अधिकांशतः भयभीत ही हुआ है और ऐसी स्त्री को उसने क्रॉस पर चढ़ा दिया है। ममता और अभय की यह कथा वस्तुतः इसी त्रास और क्रॉस की कथा है, जिसमें आपकी अपनी व्यथा भी समाहित है। विश्वास न हो तो अनाम रह जानेवाले इस कथा-प्रसंग की आग से गुज़र जाइए।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2008 |
Pages | 160p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |