Aalochak Ke Notes-Hard Back

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‘आलोचक के नोट्स' गणेश पाण्डेय की आलोचना की नई किताब है। उनकी आलोचना अपने समय के साहित्यक परिदृश्य पर एक ज़रूरी हस्तक्षेप है। आलोचना से रचना और रचना से आलोचना का काम लेना लेखक की ख़ूबी है। उनके लिए आलोचना का मतलब पाठकों के भीतर ज़रूरी बेचैनी और सवाल पैदा करना है। इसीलिए अपनी आलोचना में सुन्‍दर कविता बरक्स मज़बूत कविता का सवाल उठाते हैं। वे अपने समय की रचना और आलोचना की दुनिया की निर्मम चीरफाड़ करना साहित्य के सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन के लिए ज़रूरी मानते हैं। रचना और आलोचना, दोनों की प्रवृत्तियों और विचलन पर नज़र रखते हैं। यह बताना ज़रूरी है कि कवि के रूप में भी गणेश पाण्डेय एक पल के लिए भी आलोचक के दायित्व से मुक्त नहीं होते। जैसे उनके दिमाग़ में कोई पेंसिल है, आप से आप नोट करती रहती है, कवि और आलोचक की कारस्तानी। उनकी आलोचना हिन्दी की प्रशंसामूलक आलोचना का विकास ऩहीं है। वे आलोचना में उद्धरणों की कबूतरबाज़ी और क़तरनबाज़ी में विश्वास नहीं करतें हैं, बल्कि उसका जमकर विरोध करते हैं, उसे आलोचना की मुंशीगीरी कहते हैं। आलोचना अपने विस्तार में नहीं, कई बार सूत्रों में ज्‍़यादा महत्वपूर्ण होती है। आलोचना में छोटी और लक्ष्य-केन्द्रित टिप्पणियाँ ज्‍़यादा मूल्यवान होती हैं। रचना और आलोचना के कोने-अन्‍तरे में छिपे अँधेरे पर आलोचक की उठी हुई एक उँगली, किसी किताब, लेखकों की किसी पीढ़ी, किसी समूह, किसी सूची की आँख मूँदकर की गई महाप्रशंसा को चीर देती है। पाठक अनुभव करेंगे कि ‘आलोचक के नोट्स’ के लेख और नोट्स उन्हें अपनी तर्कशीलता, सर्जनात्मकता और चुम्‍बक जैसी भाषा से अपना बना लेंगे; ऐसी पठनीयता विरल है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 206p
Price ₹400.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 15 X 2
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Ganesh Pandey

Author: Ganesh Pandey

गणेश पाण्डेय


जन्म : 13 जुलाई, 1955 को तेतरी बाज़ार, सिद्धार्थनगर (तत्कालीन जनपद बस्ती)।

शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा वहीं और आसपास। उच्च शिक्षा के लिए गोरखपुर आगमन। गोरखपुर विश्वविद्यालय से हिन्‍दी में एम.ए. की उपाधि और यहीं से 'आठवें दशक की हिन्दी कहानी में ग्रामीण जीवन' विषय पर डाक्टरेट |

जीविका की शुरुआत में कुछ वक़्त पत्रकारिता से सम्बद्ध। कुछ समय उद्योग विभाग में सहायक प्रबन्धक के रूप में सरकारी नौकरी। सन् 1987 में गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्‍दी विभाग में प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति, सुदीर्घ सेवा के बाद प्रोफ़ेसर के रूप में यहीं से अवकाश। विश्वविद्यालय में पूर्व अधिष्ठाता छात्रकल्याण और शिक्षक राजनीति में लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए लम्बे संघर्ष के फलस्वरुप यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में भी योगदान। साहित्यिक पत्रिका 'यात्रा' का सम्‍पादन। इन्टरनेट पर ब्लॉग।

प्रकाशित कृतियाँ—‘अटा पड़ा था दुःख का हाट’, ‘जल में’, ‘जापानी बुख़ार’, ‘परिणीता’ (कविता-संग्रह); ‘अथ उदल कथा’, ‘रीफ’ (उपन्‍यास); ‘पीली पत्तियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘आठवें दशक की हिन्‍दी कहानी’ (शोख); ‘रचना, आलोचना और पत्रकारिता’, ‘आलोचना का सच’, ‘आलोचक के नोट्स’, ‘नई सदी की कविता’ (आलोचना) प्रकाशित |

 

ईमेल : prof.ganeshpandey@gmail.com

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