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Agnideeksha

Translator: Amrit Rai
Edition: 2025, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan - Hans Prakashan
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Agnideeksha
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‘अग्निदीक्षा’ सोवियत संघ में समाजवादी युग के उस नए मनुष्य की कहानी है जो विराट मानवता के हित में हर संघर्ष, हर बलिदान के लिए तैयार है, जिसके लक्ष्य बड़े हैं, और उन्हें हासिल करने की ज़िद और भी बड़ी।

यह लेखक की अपनी ही ज़िन्दगी की कहानी है, लेकिन बस उतनी ही नहीं। इसके नायक पावेल कोर्चाग‌िन के रूप में लेखक उस समूची पीढ़ी के चरित्र का अंकन करता है जो अपने समाज और व्यवस्था को नए सिरे से रचना चाहती है। सामाजिक और व्यक्तिगत आचरण के नये पैमाने स्थापित करना चाहती है।

रूसी साहित्य में इस कृति का विशेष स्थान है, सिर्फ़ इसलिए नहीं कि इसने नई दुनिया के नये नागरिक की परिभाषा गढ़ी, बल्कि इसलिए भी कि इसके लेखक निकोलाई ऑस्त्रोवस्की ने यह परिभाषा अपने जीवन के कड़े संघर्षों से गुज़रते हुए पाई थी। भीषण ग़रीबी और असहनीय शारीरिक पीड़ा के बीच समाजवादी विचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को अक्षुण्ण रखते हुए ऑस्त्रोवस्की जब यह उपन्यास लिख रहे थे; उस समय उनके सिर्फ़ हाथ सक्रिय रह गए थे।

नवम्बर 1930 में जब न उनकी आँखें रही थीं और न देह में शक्ति, उस समय उन्होंने इस पुस्तक पर काम करना शुरू किया था। कुछ हिस्सा लेखक ने स्वयं लिखा, और बाकी अपनी पत्नी, बहन और मित्रों को बोलकर लिखवाया। उनके लिए इस कृति का पूरा होना आवश्यक था, क्योंकि इसके नायक के रूप में वे नये युग के उस चरितनायक को साकार करना चाहते थे, जिसके माध्यम से उनकी कामना थी कि मृत्यु के बाद भी वे मनुष्यता की सेवा करते हुए अपने जीवन को सार्थकता दे सकें। 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Amrit Rai
Editor Not Selected
Publication Year 1954
Edition Year 2025, Ed. 2nd
Pages 404p
Publisher Lokbharti Prakashan - Hans Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 2
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Nikolai Ostrovsky

Author: Nikolai Ostrovsky

निकोलाई ऑस्त्रोवस्की

निकोलाई ऑस्त्रोवस्की का जन्म 29 सितम्बर, 1904 को यूक्रेन के एक गाँव विलिया में हुआ। वहीं से उनकी औपचारिक शिक्षा शुरू हुई। 1915 में उनका परिवार यूक्रेन के श्वेतावोका आ गया। वहाँ इंटेग्रेटेड लेबर स्कूल से ग्रेजुएट हुए। मात्र 1921 में उन्होंने कीव इलेक्ट्रोमेकैनिकल टेक्निकल सेकेंडरी स्कूल में दाख़िला लिया लेकिन स्वास्थ्य कारणों से एक साल बाद ही उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ख़राब होते स्वास्थ्य के बीच उन्होंने अपना पहला और मशहूर उपन्यास—‘हाउ द स्टील वाज़ टेम्पर्ड’ लिखना शुरू किया, जो 1931 में पूरा हुआ। अप्रैल, 1932 में ‘मोलोदाया गवार्दिया’ पत्रिका ने इसे प्रकाशित किया। नवम्बर, 1932 में यह उपन्यास पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ। इसके कई संस्करण प्रकाशित हुए। कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। वे इसका अगला खंड भी लिखना चाहते थे पर यह सम्भव नहीं हो पाया। सोवियत साहित्य के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिने जानेवाले इस उपन्यास पर फ़िल्में भी बनीं। निकोलाई अपने अगले उपन्यास ‘बॉर्न बाई स्टॉर्म’ पर काम कर रहे थे। इसका पहला खंड पूरा करने के एक हफ़्ते बाद ही 22 दिसम्बर,1936 को उनका देहान्त हो गया। मॉस्को के नोवोदेविच सेमिटेरी में उन्हें दफ़नाया गया।

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