Aazadi Mera Brand

As low as ₹200.00 Regular Price ₹250.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Aazadi Mera Brand
- +

जितनी बड़ी दुनिया बाहर है, उतनी ही बड़ी एक दुनिया हमारे अन्दर भी है, अपने ऋषियों-मुनियों की कहानियाँ सुनकर लगता है कि वे सिर्फ़ भीतर ही चले होंगे। यह किताब इन दोनों दुनियाओं को जोड़ती हुई चलती है। यह महसूस कराते हुए कि भीतर की मंज़‍िलों को हम बाहर चलते हुए भी छू सकते हैं, बशर्ते अपने आप को लादकर न चले हों। उतना ही एकान्‍त साथ लेकर निकले हों जितना एकान्‍त ऋषि अपने भीतर की यात्रा पर लेकर निकला होगा।

अनुराधा बेनीवाल की इस एकाकी यात्रा में आप ज्ञान से भारी नहीं होते, सफ़र से हलके होते हैं। न उसने कहीं ज्ञान जुटाने की ज्‍़यादा कोशिश की, और न पाठक को वह थाती सौंपकर अमर होने की। इसीलिए शायद यह पुस्तक यात्रा-वृत्‍तान्‍त नहीं, ख़ुद एक यात्रा हो गई है। एक सामाजिक, सांस्कृतिक यात्रा, और एक प्रश्न-यात्रा जो शुरू ही इस सवाल से होती है कि आख़ि‍र कोई भारतीय लड़की ‘अच्छी भारतीय लड़की’ के खाँचों-साँचों की पवित्र कुंठाओं के जाल को क्यों नहीं तोड़ सकती? सुदूर बाहर की इस यात्रा में वह भीतर के कई दुर्लभ पड़ावों से गुज़रती है, और अपनी संस्कृति, समाज और आध्यात्मिकता को लेकर कुछ इस अन्‍दाज़ में प्रश्नवाचक होती है कि अपनी हिप्पोक्रेसी को देखना हमारे लिए यकायक आसान हो जाता है।

ज़‍िन्‍दगी के अनेक ख़ुशनुमा चेहरे इस सफ़र में अनुराधा ने पकड़े हैं, और उत्सव की तरह जिया है। इनमें सबसे बड़ा उत्सव है निजता का। निजी स्पेस के सम्मान का जो उसे भारत में नहीं दिखा। अपने मन का कुछ कर सकने लायक़ थोड़ी-सी खुली जगह, जो इतने बड़े इस देश में कहीं उपलब्ध नहीं है। औरतों के लिए तो बिलकुल नहीं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2016
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 188p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Sarthak (An imprint of Rajkamal Prakashan)
Dimensions 20.5 X 13.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Aazadi Mera Brand
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Anuradha Beniwal

Author: Anuradha Beniwal

अनुराधा बेनीवाल

अनुराधा बेनीवाल का जन्म हरियाणा के रोहतक ज़िले के खेड़ी महम गाँव में 1986 में हुआ। इनकी 12वीं तक की अनौपचारिक पढ़ाई घर में हुई। 15 वर्ष की आयु में ये राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता की विजेता रहीं। 16 वर्ष की आयु में विश्व शतरंज प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उसके बाद इन्होंने प्रतिस्पर्धी शतरंज खेल की दुनिया से ख़ुद को अलग कर लिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से अंग्रेज़ी विषय में बी.ए. (ऑनर्स) करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई की, फिर अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. भी किया। इस दौरान ये तमाम खेल-गतिविधियों से कई भूमिकाओं में जुड़ी रहीं। फ़िलहाल ये लन्दन में एक जानी-मानी शतरंज कोच हैं और रोहतक में लड़कियों के सर्वांगीण व्यक्तित्व-विकास के लिए ‘जियो बेटी’ नाम से एक स्वयंसेवी संस्था भी चला रही हैं। मिज़ाज से बैक-पैकर अनुराधा अपनी घुमक्कड़ी का आख्यान ‘यायावरी आवारगी’ नामक पुस्तक-शृंखला में लिख 

रही हैं। ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ शृंखला की पहली किताब है। उनकी इस किताब को ‘राजकमल सृजनात्मक गद्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।

Read More
Books by this Author

Back to Top