Aavirbhav

Author: Yatish Kumar
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Aavirbhav

यतीश कुमार कविता के कारोबार को जिस तरह से अपनी इस किताब में कर गुज़र रहे हैं, उसे देखकर यह साफ़ हो जाता है कि वह एक रास्ते की तलाश में थे जो उन्हें मिलता हुआ दिख रहा है। उन्होंने हिन्दी के विश्रुत उपन्यासों पर और यदा-कदा गद्य के किसी और जॉनर पर कविताएँ लिखने की ठानी।

अमूमन उपन्यास और कविता को अपनी संरचनाओं में एक-दूसरे का विपरीत और विलोम माना जा सकता है। लेकिन यतीश बहुत मौलिक तरीक़े से दोनों को किसी कृतिकार पारस्परिकता में देखना शुरू करते हैं। वह उपन्यास को कविता की तात्त्विकता में घटित करने का जोखिम उठाते हैं।  इसके लिए वह उपन्यास के मानस और मनस्तत्त्व को आविष्कृत करते हैं—उसका विज़न और उसकी अन्तर्दृष्टि, उसकी मेटाफिजिकल अन्तर्धारा और उसकी वैचारिक निर्मिति। यह एक वजह है कि उपन्यास पर लिखी उनकी कविता कथा का सार-संक्षेप नहीं होती। वह वृत्तान्तों में न्यस्त आकांक्षाओं, ललक, उद्वेग, दुविधा, उम्मीद, वियुक्ति, विघटन, आवेग, संघर्ष वगैरह को कविता के स्वगत में ढालना शुरू करते हैं और उस विवेक को ढूँढ़ना शुरू करते हैं जो किसी भी उपन्यास का अग्रसारक होता है। कह लीजिए कि उपन्यासों पर लिखी जाती इन कविताओं की अपनी अन्तर्यात्रा है जो मूल कृति के समानान्तर होते हुए भी स्वायत्त है और कथा के ठोस के समानान्तर संवेग का आवेग। हिन्दी में किसी ने इस तरह का काम किया हो तो मैं नहीं जानता। उनके इस काम की महत्ता उनके इस तरह अनन्य और अपूर्व होने मात्र से निर्धारित हो सकती थी लेकिन यतीश ने जो काम इस फॉरमैट में किया है वह गहन और सूझ भरा है जो अपने दुस्साहस और संश्लिष्ट काव्यगत स्थापत्य के लिए अपनी विरल पहचान बनाएगा, इसमें कोई संशय नहीं। काव्य के इस गद्य युग में इन कविताओं जैसा प्योर पोएट्री की तरफ़ जाता पोएटिसाइज़्ड टेक्स्ट शायद ही किसी कवि के पास हो यह याद दिलाते हुए कि इस शुद्ध दिखती कविता में जीवन के द्वन्द्व और उसकी दुर्वहता और क्षत-विक्षत करती उसकी सांसारिकता कभी ओझल नहीं होती।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 176p
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Yatish Kumar

Author: Yatish Kumar

यतीश कुमार

21 अगस्त, 1976 को मुंगेर, बिहार में जन्मे यतीश कुमार ने पिछले कुछ वर्षों में कविता और कहानी के साथ-साथ चर्चित उपन्यासों, कहानियों व यात्रा-वृत्तान्तों पर अपनी विशिष्ट शैली में कविताई से एक अलग पहचान बनाई है। 1996 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियर्स (आईआरएसएमई) अधिकारी यतीश कुमार का दिल पिछले दो दशकों से साहित्य के लिए धड़कता है। 2021 में उनका पहला काव्य-संग्रह ‘अन्तस की खुरचन’ व 2023 में दूसरा काव्य-संग्रह ‘आविर्भाव’ (हिन्दी साहित्य की 11 प्रसिद्ध कृतियों पर कविताई) प्रकाशित हुआ है। उनकी कविताएँ एवं संस्मरण देश के कई समाचार-पत्रों एवं प्रसिद्ध पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। कई चर्चित साहित्यिक ब्लॉग्स पर भी उनकी रचनात्मक उपस्थिति दर्ज है। किसी भी ‘सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम’ के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक के रूप में नियुक्त होनेवाले सबसे कम उम्र के अधिकारी यतीश ‘ब्रेथवेट एंड कम्पनी लिमिटेड’ (रेल मंत्रालय) का कार्यभार सँभाल चुके हैं। साहित्य साधना के साथ-साथ तक़रीबन दो दशक से विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं। कोलकाता से संचालित प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘नीलाम्बर’ के अध्यक्ष हैं और ‘कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल’ से बतौर सलाहकार जुड़े हैं। इसके अलावा ‘बान्धव सियालदह’, ‘एडजस्टिस फाउंडेशन’, ‘नो चाइल्ड स्लीप हंग्री’ समेत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत हैं।

भारतीय रेलवे सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 2006 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रीय और पाँच क्षेत्रीय रेलवे पुरस्कार के अलावा उन्हें आर्थिक अध्ययन संस्थान द्वारा ‘आउटस्टैंडिंग ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड-2019’, वर्ल्ड एचआरडी कांग्रेस द्वारा ‘सीईओ विद एचआर ओरिएंटेशन पुरस्कार’ और 2021 में गवर्नेंस नाउ 8वें पीएसयू अवार्ड में ‘सीएमडी लीडरशिप अवार्ड’ समेत कई सम्मान मिल मिल चुके हैं।

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