Aavirbhav

Poetry,What Readers Are Buying
Author: Yatish Kumar
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यतीश कुमार कविता के कारोबार को जिस तरह से अपनी इस किताब में कर गुज़र रहे हैं, उसे देखकर यह साफ़ हो जाता है कि वह एक रास्ते की तलाश में थे जो उन्हें मिलता हुआ दिख रहा है। उन्होंने हिन्दी के विश्रुत उपन्यासों पर और यदा-कदा गद्य के किसी और जॉनर पर कविताएँ लिखने की ठानी।

अमूमन उपन्यास और कविता को अपनी संरचनाओं में एक-दूसरे का विपरीत और विलोम माना जा सकता है। लेकिन यतीश बहुत मौलिक तरीक़े से दोनों को किसी कृतिकार पारस्परिकता में देखना शुरू करते हैं। वह उपन्यास को कविता की तात्त्विकता में घटित करने का जोखिम उठाते हैं।  इसके लिए वह उपन्यास के मानस और मनस्तत्त्व को आविष्कृत करते हैं—उसका विज़न और उसकी अन्तर्दृष्टि, उसकी मेटाफिजिकल अन्तर्धारा और उसकी वैचारिक निर्मिति। यह एक वजह है कि उपन्यास पर लिखी उनकी कविता कथा का सार-संक्षेप नहीं होती। वह वृत्तान्तों में न्यस्त आकांक्षाओं, ललक, उद्वेग, दुविधा, उम्मीद, वियुक्ति, विघटन, आवेग, संघर्ष वगैरह को कविता के स्वगत में ढालना शुरू करते हैं और उस विवेक को ढूँढ़ना शुरू करते हैं जो किसी भी उपन्यास का अग्रसारक होता है। कह लीजिए कि उपन्यासों पर लिखी जाती इन कविताओं की अपनी अन्तर्यात्रा है जो मूल कृति के समानान्तर होते हुए भी स्वायत्त है और कथा के ठोस के समानान्तर संवेग का आवेग। हिन्दी में किसी ने इस तरह का काम किया हो तो मैं नहीं जानता। उनके इस काम की महत्ता उनके इस तरह अनन्य और अपूर्व होने मात्र से निर्धारित हो सकती थी लेकिन यतीश ने जो काम इस फॉरमैट में किया है वह गहन और सूझ भरा है जो अपने दुस्साहस और संश्लिष्ट काव्यगत स्थापत्य के लिए अपनी विरल पहचान बनाएगा, इसमें कोई संशय नहीं। काव्य के इस गद्य युग में इन कविताओं जैसा प्योर पोएट्री की तरफ़ जाता पोएटिसाइज़्ड टेक्स्ट शायद ही किसी कवि के पास हो यह याद दिलाते हुए कि इस शुद्ध दिखती कविता में जीवन के द्वन्द्व और उसकी दुर्वहता और क्षत-विक्षत करती उसकी सांसारिकता कभी ओझल नहीं होती।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Yatish Kumar

Author: Yatish Kumar

यतीश कुमार

यतीश कुमार का जन्म 21 अगस्त, 1976 को मुंगेर, बिहार में हुआ। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में साहित्य-जगत में अपनी विशेष रचनात्मक उपस्थ‍िति दर्ज कराई है। चर्चित उपन्यासों, कहानियों और वृत्तान्तों पर उनकी काव्यात्मक समीक्षाओं ने पाठकों का ध्यान ख़ासतौर पर आकर्षित किया है।

उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘अन्तस की खुरचन’ और ‘आविर्भाव’ (कविता-संग्रह)।

उनकी कविताएँ और संस्मरण ‘नया ज्ञानोदय’, ‘हंस’, ‘अहा! ज़िन्दगी’, ‘सन्मार्ग’, ‘प्रभात ख़बर’ और ‘वागर्थ’ सहित अधि‍कतर प्रति‍िष्ठत पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। ‘समालोचन’, ‘जानकी पुल’, ‘पहली बार’, ‘कविता कोश’ आदि चर्चित साहित्यिक ब्‍लॉगों पर भी उनकी रचनाएँ प्रकाशित हैं।

साहित्य सृजन के साथ-साथ विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं से भी वे सक्रिय रूप से जुड़े हैं और इन दिनों कोलकाता की साहित्यिक संस्था ‘नीलाम्बर’ के अध्यक्ष हैं।

वर्तमान में वे भारतीय रेलवे सेवा के प्रशासनिक अधिकारी हैं और ‘ब्रेथवेट एंड कम्पनी लिमिटेड’ (रेल मंत्रालय) का कार्यभार सँभाल रहे हैं।

ई-मेल : yatishkr93@gmail.com

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