Aatmaj-Paper Back

Author: Vinay Kumar
ISBN: 9789360861698
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹179.10 Regular Price ₹199.00
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रंगमंच का कविता से बड़ा गहरा रिश्ता है। नाटक को दृश्य-काव्य भी कहा गया है। विनय कुमार के काव्य-नाटक आत्मज को आधुनिक हिन्दी रंगमंच को आन्दोलित करनेवाले काव्य नाटकों की परम्परा से जोड़कर देखा जा सकता है। कवि ने अपने इस नाटक के कथ्य को एक विलक्षण शैलीबद्धता के साथ अभिव्यक्त किया है। इस शैलीबद्धता में कहीं शब्दों के माध्यम से, तो कहीं शब्दों के बीच छिपी अमूर्त दृश्यता के माध्यम से जीवन का यथार्थ चाक्षुष रूप ग्रहण करता है।

यहाँ जीवन की अनुकृति नहीं, अनुकीर्तन है, जिसकी आभा में अन्तर्द्वन्द्वों की ऐसी छवियाँ देखी जा सकती हैं जिनसे हमारे समय और समाज के दार्शनिक सत्य प्रकट होते हैं।

आत्मज में इतिहास पारम्परिक अर्थों में उपलब्ध नहीं है। इसके पात्र भी ठीक उस तरह उपलब्ध नहीं हैं, जैसे वे तथाकथित इतिहास के गह्वरों से झाँकते रहे हैं। आंशिक या पूर्ण पितृहीनता के संकटों और दुखों से बिंधे ये पात्र ऐतिहासिक से अधिक आधुनिक हैं, और वे जीवन और जगत में पितृ-तत्त्व के क्षरण के बीच एक बेधक पुकार की तरह उपस्थित होते हैं। ग़ौरतलब है कि इस नाट्यरचना के तन्तु इतिहास के मौन से बुने गये हैं। रंगमंच पर मौन एक युक्ति है और वह प्रस्तुति के दौरान सर्वाधिक मुखर होता है। इस नाट्यालेख में इतिहास का मौन, कविता के मौन और रंगमंच के मौन के साथ मिल कर जो रंगभाषा रचता है, उससे उन ध्वनियों और दृश्यों की रचना होती है; जिससे दर्शक नई नाट्यानुभूति अर्जित कर सकते हैं और अपनी कल्पना के संस्पर्श से अपना भाव-पक्ष रच सकते हैं। आत्मज की रंगभाषा प्रस्तुति-प्रयोग के लिए रंगकर्मियों को आकर्षित करेगी और नाट्यालेख के भीतर विन्यस्त उपपाठ को संप्रेषित करने के लिए नई राहों की निर्मिति भी करेगी। भारतीय रंगमंच पर आत्मज  की उपस्थिति तकनीक के खेल वाले इस समय में शब्दों की गरिमा और शक्ति की वापसी है।

—हृषीकेश सुलभ

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 96p
Price ₹199.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Vinay Kumar

Author: Vinay Kumar

विनय कुमार

विनय कुमार का जन्म 9 जून, 1961 को बिहार के जहानाबाद ज़िले के कन्दौल गाँव में हुआ। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज, पटना से एम.डी. (मनोचिकित्सा) किया।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘क़र्ज़े-तहजीब एक दुनिया है’ (ग़ज़ल-संग्रह); ‘आम्रपाली और अन्य कविताएँ’, ‘मॉल में कबूतर’, ‘यक्षिणी’ तथा ‘पानी जैसा देस’ (कविता-संग्रह); ‘एक मनोचिकित्सक के नोट्स’ और ‘मनोचिकित्सा संवाद’ (मनोसामाजिक विमर्श)। उन्होंने इंडियन साइकायट्रिक सोसाइटी के लिए मनोचिकित्सा-शिक्षा विषयक पाँच किताबों का सम्पादन/सह-सम्पादन और मानसिक स्वास्थ्य की हिन्दी पत्रिका ‘मनोवेद डाइजेस्ट’ का सम्पादन किया है। मनोरोग से सम्बन्धित विषयों पर अख़बारों तथा पत्रिकाओं में उनका विपुल लेखन है।

भारतीय मनोचिकित्सकों के सबसे बड़े संगठन ‘इंडियन साइकायट्रिक सोसाइटी’ के वाइस प्रेसिडेंट और प्रेसिडेंट इलेक्ट। उन्हें 2007 में मनोचिकित्सा सेवा के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के ‘डॉ. रामचन्द्र एन. मूर्ति सम्मान’ और 2015 में ‘एक मनोचिकित्सक के नोट्स’ के लिए ‘अयोध्या प्रसाद खत्री स्मृति सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है।

सम्प्रति : मनोवेद माइंड हॉस्पिटल, पटना में मनोचिकित्सक।

ई-मेल : dr.vinaykr@gmail.com

 

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