सैयद हैदर रज़ा को आधुनिक भारतीय चित्रकला का एक मूर्धन्य माना जाता है। आधी सदी से अधिक से पेरिस में रह रहे रज़ा का जन्म मध्य प्रदेश के एक जंगली इलाक़े में साधारण परिवार में हुआ था और वे कठिन संघर्ष और साधना से एक उज्ज्वल-उदात्त और विश्व स्तर के मुक़ाम पर पहुँचे थे। यह गाथा है साधारण की महिमा की, मटमैलेपन से उज्ज्वल तक पहुँचने की। उन्होंने अपने मित्र और हिन्दी कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी से पेरिस में जो आपबीती कही, वह इस पुस्तक का केन्द्रीय हिस्सा है। साथ ही, अशोक वाजपेयी ने लगभग तीन दशकों में इस अदि्वतीय कलाकार की कला और ज़िन्दगी पर जो कुछ लिखा है, वह भी यहाँ एकत्र है जैसे कि उनकी वह लम्बी कविता ‘रजा का समय’ भी जो रज़ा की अस्सीवीं वर्षगाँठ के लिए लिखी गई थी। रज़ा से उनकी कला के बारे में लम्बी बातचीत भी संग्रहीत है। ‘आत्मा का ताप’ एक श्रेष्ठ कलाकार और पारदर्शी व्यक्ति की ज़िन्दगी और कला पर हिन्दी में अपने ढंग की पहली और अनूठी पुस्तक है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2004 |
Pages | 212p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |