Aapatkal Aakhyan : Indira Gandhi Aur Loktantra Ki Agni Pariksha

Author: Gyan Prakash
Translator: Mihir Pandya
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Aapatkal Aakhyan : Indira Gandhi Aur Loktantra Ki Agni Pariksha
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लोकतांत्रिक भारत के इतिहास के सबसे अँधेरे पलों में से एक का प्रभावी और प्रामाणिक अध्ययन, जो हमारे वर्तमान दौर में, लोकतंत्र पर मँडरा रहे वैश्विक संकटों पर भी रौशनी डालता है।

सुनील खिलनानी; इतिहासकार, राजनीति विज्ञानी  

एक ऐसे दौर में, जब दुनिया एक बार फिर अधिनायकवाद के ज़लज़लों से रू-ब-रू हो रही है, ज्ञान प्रकाश की किताब ‘आपातकाल आख्यान’ आपातकाल (1975-77) को बेहतर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए हमें इतिहास के उस दौर में ले जाती है, जब भारत ने स्वतंत्रता हासिल की थी। यह किताब इस मिथक को तोड़ती है कि आपातकाल एक ऐसी आकस्मिक परिघटना थी जिसका एकमात्र कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री का सत्तामोह था, इसके बरक्‍स यह तर्क देती है कि आपातकाल के लिए जितनी ज़िम्मेदार इन्दिरा गांधी थीं, उतने ही ज़िम्मेदार भारतीय लोकतंत्र और लोकप्रिय राजनीति के बनते-बिगड़ते नाज़ुक सम्बन्ध भी थे। यह ऐसी परिघटना थी जो भारतीय राजनीति के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुई।

ज्ञान प्रकाश आपातकाल के ठीक पहले के वर्षों में घटी घटनाओं का विस्तार से लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि लोकतांत्रिक बदलाव के वादे के अधूरे रह जाने ने कैसे राज्य सत्ता और नागरिक अधिकारों के बीच मौजूद नाज़ुक सन्तुलन को हिला दिया था। कैसे उग्र होते असन्तोष ने इन्दिरा गांधी की सत्ता को चुनौती दी और कैसे उन्‍होंने वैध नागरिक अधिकारों को निलम्बित करने के लिए क़ानून को ही अपना हथियार बनाया। जिसने भारत की राजनीतिक व्यवस्था पर कभी न मिटने वाले घाव के निशान छोड़े और निकट भविष्य में जाति और हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीति के लिए द्वार खोल दिये।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 416p
Translator Mihir Pandya
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2.5
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Author: Gyan Prakash

ज्ञान प्रकाश 
ज्ञान प्रकाश प्रिंसटन विश्वविद्यालय में इतिहास विषय के ‘डेटन-स्टॉकटन’ प्रोफ़ेसर हैं। वे प्रभावशाली समूह ‘सबाल्टर्न स्टडीज़ कलेक्टिव’ के 2006 में विघटित होने से पहले तक उसके सदस्य रहे हैं और ‘गुग्गेनहेम’ एवं ‘नेशनल एंडॉवमेंट ऑफ़ ह्यूमैनिटीज़ फ़ेलोशिप’ जैसी अध्येतावृत्तियाँ हासिल कर चुके हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘बॉन्डेड हिस्ट्रीज़’ (1990), ‘अनदर रीज़न’ (1999) और बहुप्रशंसित ‘मुम्बई फ़ेबल्स’ (2010) शामिल हैं। चर्चित फ़िल्म-निर्देशक अनुराग कश्यप ‘मुम्बई फ़ेबल्स’ पर ‘बॉम्बे वेलवेट’ (2015) नाम से फ़ीचर फ़िल्म बना चुके हैं। ज्ञान प्रिंसटन, न्यू जर्सी में रहते हैं

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