Aap-Biti

Author: Marc Chagall
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Aap-Biti
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इन सफों का वही अर्थ है जो चित्रित सतह का है। यदि मेरे चित्रों में छिपने की कोई जगह होती, तो मैं उसमें सरक जाता...या शायद वे मेरे किसी चरित्र के पीछे चिपके होते या ‘संगीतकार’ के पाजामे के पीछे होते जिसे मैंने अपने म्यूरल में चित्रित किया है?...कौन जानता कि पीठ पर क्या लिखा है? आर.एस.एफ़.एस.आर. के समय में। मैं चाहकर चिल्लाता : हमारे बिजली के मचान हमारे पैरों तले सरक रहे हैं, क्या तुम महसूस कर सकते हो? और क्या हमारी सुघतय कला में पूर्व चेतावनी नहीं थी, हालाँकि हम लोग वास्तव में हवा में हैं और एक ही रोग से ग्रस्त, स्थायित्व के लिए लालायित। वे पाँच साल मेरी आत्मा मथते हैं। मैं दुबला हो चूका हूँ। मैं भूखा भी हूँ। मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ फिर से, बी...सी...पी...मैं थक चूका हूँ। मुझे अपनी पत्नी और बेटी के साथ आना चाहिए। मुझे तुम्हारे नज़दीक आकर लेटना चाहिए। और, शायद, यूरोप मुझसे प्रेम करे, उसके साथ, मेरा रूस।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 212p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Marc Chagall

Author: Marc Chagall

मार्क शागाल

विश्वविख्यात चित्रकार मार्क शागाल का जन्म 1887 में रूस के वितेव्स्क शहर के एक ग़रीब यहूदी परिवार में हुआ था। सेंट पीटसवर्ग में आरम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे लियो वाक्स्ट के प्रायोगिक कला महाविद्यालय में पहुँचे जो फ़्रांस में चित्रकला में हो रहे नये विचारों और प्रयोगों के प्रभाव में था। 1910 में बर्लिन में उनकी प्रदर्शनी आयोजित हुई जिसने जर्मन इम्प्रेशनिज़्म पर गहरा प्रभाव डाला। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान वे रूस में फँस गए। 1917 की क्रान्ति के बाद उन्होंने मालेविच और अन्य अवाँगार्द चित्रकारों की ही भाँति ‘कला कमिसार’ की तरह काम किया और एक स्वतंत्र कला अकादेमी खोली और मास्को के यीडिश थियेटर के लिए काम किया जो उनके महत्त्वपूर्ण चित्रों में शामिल है। 1923 में वे पेरिस लौटे और दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत में अमरीका चले गए। शागाल अपनी अजस्र ऊर्जा को निरन्तर एक के बाद दूसरे कामों में लगाते रहे। उन्होंने स्ट्राविन्स्की के लिए सेट और पोशाकें तैयार कीं, पेरिस के आपेरा की छत चित्रित की, लिंकन सेंटर के मेट्रोपॉलिटन आपेरा के लिए म्यूरल बनाया। जेरूसलम में हदास्साह मेडिकल सेंटर की इबादतग़ाह के लिए चित्रित खिड़कियाँ उनके सबसे प्रभावशाली कामों में शामिल हैं। शागाल ने रंगीन लिथोग्राफ़, शिल्प और सिरेमिक में भी लगातार काम किया। 1985 में अमरीका में उनकी मृत्यु हुई।

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