Aadhunikta Aur Hindi Upanyas-Hard Back

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हिन्दी उपन्यास का इतिहास ज्‍़यादा लम्बा नहीं है लेकिन आधुनिकता के बोध से यह पर्याप्त रूप से सम्‍पन्न है। आधुनिकता क्या है? यह उपन्यास के बाहर भी हो सकती है और साहित्य के भी। दरअसल यह एक जीवन-बोध है, जिसमें सवालों की निरन्तरता है और जिसमें स्वीकृत मूल्य अस्वीकृति के साक्ष्य तो बनते हैं परन्तु फिर स्थापित होकर विस्थापित होते जाते हैं।

आधुनिकता का बोध सर्वप्रथम 'गोदान’ में प्रकट होता है। यह बोध हिन्दी उपन्यासों में निजी परिवेश और निजी स्तर पर समाहित दिखलाई पड़ता है। आलोचक इन्द्रनाथ मदान के मुताबिक़ : ''इसका साक्षात्कार हर उपन्यास में अपने-अपने स्तर पर हुआ है। ‘गोदान’ में यह एक स्तर पर है, ‘शेखर : एक जीवनी’ में दूसरे स्तर पर, ‘बलचनमा’ में तीसरे स्तर पर, ‘न आनेवाला कल’ में चौथे स्तर पर, ‘एक चूहे की मौत’ में पाँचवें स्तर पर, ‘सफ़ेद मेमने’ में छहे स्तर पर, ‘वे दिन’ में सातवें स्तर पर और ‘मुरदाघर’ में आठवें स्तर पर।’’

प्रसिद्ध आलोचक इन्द्रनाथ मदान ने इस पुस्तक में 1934-36 से 1997 तक की अवधि में आए हिन्दी उपन्यासों का मूल्यांकन आधुनिकता-बोध की कसौटी पर किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1981
Edition Year 2024, Ed. 4th
Pages 128P
Price ₹495.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Indranath Madan

Author: Indranath Madan

इन्द्रनाथ मदान

 

हिन्‍दी साहित्य में समीक्षा को एक नया आयाम देने वाले समीक्षकों में प्रसिद्ध नाम। पंजाब यूनीवर्सिटी में हिन्‍दी विभाग के प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष रहे।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ हैं—‘आधुनिकता और हिन्‍दी साहित्‍य’, ‘आधुनिकता और हिन्‍दी आलोचना’, ‘आधुनिकता और हिन्‍दी उपन्‍यास’, ‘प्रेमचंद : एक विवेचना’, ‘आधुनिकता और सृजनात्‍मक साहित्‍य’, सं. : ‘महादेवी : चिन्‍तन और कला’, सं. : ‘निराला’ आदि।

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