21vin Sadi Ki Or-Hard Back

ISBN: 9788126702442
Edition: 2001, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹250.75 Regular Price ₹295.00
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9788126702442
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स्वतंत्रता के बाद भारतीय स्त्री की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ है। बहुत थोड़े पैमाने पर ही सही, लेकिन इक्कीसवीं सदी की स्त्री-छवि बड़ी तेज़ी से आकार ग्रहण कर रही है। और, हम उम्मीद कर सकते हैं कि नई सदी में वह भारतीय समाज की एक समर्थ और स्वतंत्र इकाई होगी।

यह आज भी नहीं कहा जा सकता कि स्त्री के सामने मौजूद तमाम चुनौतियाँ, दुविधाएँ और बाधाएँ पूरी तरह दूर कर ली गई हैं। समस्याएँ हैं, लेकिन उनसे दो-चार होने का साहस अब उतना दुर्लभ नहीं है जितना पहले था।

यह पुस्तक हमें इन दोनों पहलुओं से अवगत कराती है, इसमें नया इतिहास रचती भारतीय नारी है, तो पीड़ा की आग में झुलसती औरत भी है। स्वतंत्रता और सुरक्षा का कठिन चुनाव है, विज्ञापनों में उभरती नई नारी-छवि है, पंचायत व्यवस्था में संलग्न महिलाएँ हैं, नारी-साक्षरता के प्रश्न हैं, उनकी क़ानूनी हैसियत पर विचार है और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान मुक्ति का अर्थ समझती औरतें भी हैं। यह पुस्तक वर्तमान और जन्म ले रही स्त्री का समग्र ख़ाका प्रस्तुत करती है। 

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 222p
Price ₹295.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Suman Krishnakant

Author: Suman Krishnakant

सुमन कृष्णकान्त

 

जन्म: 16 फरवरी, 1936; फगवाड़ा, पंजाब (भारत)।

शिक्षा: एम.ए. (राजनीतिशास्त्र)।

वर्षों से बाल व महिला-कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी। ‘बाल अधिकार’, ‘पंचायती राज में महिलाओं की भूमिका’, ‘हिंसा और महिला’ सहित शिक्षा, समानता, शक्ति से सम्‍बन्धित राष्ट्रीय अधिवेशनों में भागीदारी।

आंध्र प्रदेश में सौ कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास की स्थापना। इसी परिसर में महिला पॉलिटेक्निक का निर्माण। बुज़ुर्गों के लिए सुविधा केन्द्र और देश के कई भागों में परिवार-सुझाव तथा आन्ध्र प्रदेश में निराश्रित महिलाओं के लिए अल्पावधि आवास की स्थापना।

आन्ध्र प्रदेश में दो प्राथमिक विद्यालयों एवं दिल्ली में पाँच से सात वर्षीय बच्चों के लिए तीन शिक्षा केन्द्रों की तथा महिलाओं को आर्थिक सम्बल देने के लिए दिल्ली में तीन हस्तकला केन्द्रों की स्थापना।

देश-भर में महिलाओं को जागरूक करने के प्रयोजन से विभिन्न सेमिनारों का आयोजन। अन्‍तरराष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा सन् 1995 में जिनेवा में आयोजित कान्फ्रेंस में शिरकत।

‘दहेज’, ‘महिलाओं पर हिंसा’, ‘बालिका शिक्षा’, ‘महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी’ आदि मुद्दों पर आन्दोलनों में सक्रिय।

महिलाओं की पत्रिका ‘भारतीय जननी’ (त्रैमासिक) तथा लेख-संग्रह ‘वुमेंस मूवमेंट इन 21 सेंचुरी’ (अंग्रेज़ी व हिन्दी) का सम्‍पादन।

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