Vah Ladki Jo Motorcycle Chalati Hai

Poetry
Author: Anant Bhatnagar
As low as ₹175.00 Regular Price ₹250.00
You Save 30%
In stock
Only %1 left
SKU
Vah Ladki Jo Motorcycle Chalati Hai
- +

पुरातन की स्मृति और अभाव अक्सर ही कविताओं के प्रेरक कारक होते हैं, या तो हम किसी बीते क्षण को कविता में सम्बोधित करते हैं या फिर किसी भविष्य की कामना हमें कविता में सोचने को प्रेरित करती है। लेकिन इस संग्रह की ज्‍़यादातर कविताएँ वर्तमान को सम्बोधित हैं और आधुनिक सभ्यता के कुछ नए उपादानों को समझने की कोशिश करती हैं; मसलन—‘मोबाइल फ़ोन’, ‘बाज़ार’, ‘सेज के नाम से जाने जानेवाले विशेष आर्थिक क्षेत्र’ और ‘वह लड़की जो मोटरसाइकिल चलाती है’।

इस नई दुनिया को कवि बिना किसी पूर्वग्रह के एकदम ताज़ा निगाह से देखता और समझता है और पाठक को भी अपनी यात्रा में शामिल करता चलता है—‘क्या/आप नहीं चौंके थे/उस दिन/जब आपने/पहली बार किसी/एक लड़की को/मोटरसाइकिल चलाते/हुए देखा था?’ यह दृश्य कवि को एक नए युग का आरम्भ लगता है, लेकिन इसके भविष्य को लेकर उसे कुछ शंका भी है—‘क्या शादी के बाद भी/चला पाएगी वह मोटरसाइकिल/...क्या/वह आगे बैठी होगी/और पति/होगा/पीछे सवार?’

संग्रह का दूसरा खंड ‘उम्र का चालीसवाँ’ बढ़ती आयु के अहसास की कविताओं का है जिसके विषय में ख़ुद कवि का कहना है कि ‘उम्र के इस संक्रमण काल में रचित ये कविताएँ नितान्त निजी जीवन से लेकर सामाजिक स्तर तक बदलते रिश्तों के प्रति प्रतिक्रिया हैं। इन कविताओं में कई विशुद्ध हास्यबोध की रचनाएँ भी हैं, जिन्हें संग्रह में सम्मिलित करने के पीछे मेरी सोच यह है कि हास्य को केवल मंचीय जुमलेबाज़ी के लिए छोड़ देना हास्यबोध के साथ अन्याय है।’

संक्षिप्त मुहावरे में रची ये कविताएँ हिन्दी कविता-प्रेमियों को निश्चय ही पसन्द आएँगी।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 104P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Vah Ladki Jo Motorcycle Chalati Hai
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Anant Bhatnagar

Author: Anant Bhatnagar

अनन्त भटनागर

डॉ. अनन्त भटनागर की सृजनात्मक ऊर्जा साहित्यिक लेखन के साथ-साथ सामाजिक आन्दोलनों में प्रस्फुटित होती रही है। कविता, व्यंग्य एवं आलोचना विधा में सक्रिय डॉ. भटनागर की छवि सूक्त रूप में गम्भीर व व्यंग्यात्मक रचनाकार की है। मानवाधिकार आन्दोलन से लम्बे जुड़ाव के कारण उनके रचनात्मक सरोकार मानवीय संवेदना के निकट रहे हैं।

‘समय के साथ’ शीर्षक से उनका प्रथम काव्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है। देश के प्रमुख समाचार पत्रों में उनके व्यंग्य के स्तम्भ चर्चित रहे हैं। प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में उनके लेख व कविताएँ निरन्तर प्रकाशित हुए हैं। बोर्ड एवं विश्वविद्यालयों में उनके द्वारा सम्पादित पुस्तकें पाठ्यक्रमों में रही हैं।

देश के प्रमुख मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज के राज्य महासचिव के पद पर कार्यरत डॉ. भटनागर धर्मनिरपेक्षता, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खाद्य सुरक्षा, बाल अधिकार, मानवाधिकार शिक्षण आदि विविध क्षेत्रों में सक्रिय रहे हैं। वे राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ, स्पिक मैके, प्रबुद्ध मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समिति व साहित्य संगम से भी जुड़े हैं।

‘सागर से आकाश तक’ उनकी प्रथम नाट्य-कृति है।

आजकल डॉ. भटनागर विजय सिंह पथिक श्रमजीवी महाविद्यालय, अजमेर में प्राचार्य तथा द टर्निंग पॉइंट पब्लिक स्कूल में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।

Read More
Books by this Author

Back to Top