Upanyaso Ke Sarokar

Author: E. Vijaylaxmi
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Upanyaso Ke Sarokar

मेरे जैसे अध्येता के लिए यह कालावधि भूमंडलीकरण के प्रभाव की सबसे भयावह अवधि रही है। वह इसलिए कि विश्व व्यवस्था के इस नए परिवर्तन का प्रभाव अपने विविध रूपों के साथ खुलकर सामने आने लगा है; यहाँ तक कि उसने वैचारिक धरातल से नीचे उतरकर ज़मीनी सच्चाई को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।

आज का आदमी एक ऐसे दौर से गुज़र रहा है जिसमें इतिहास और संस्कृति ही नहीं, बल्कि वर्तमान से भी उसका रिश्ता अरूप होता चला जा रहा है। यह कम दुर्भाग्य की बात नहीं है कि इतिहास, विचार और साहित्य से लेकर मूल्यों तक की घोषणाएँ की जा रही हैं और हम उन घोषणाओं की वास्तविकता को परखने के बदले उनकी व्याख्या और बहस के लम्बे-चौड़े आयोजन करने में लगे हुए हैं। इस दौर में स्त्री, दलित और जनजातीय समाज लगातार बहस के केन्द्र में अपनी जगह बना रहे हैं। माना जा रहा है कि यह उत्तराधुनिकता से प्रेरित एक ऐसी परिघटना है, जिसमें पूरी सक्रियता के साथ जड़ों की ओर लौट रहे हैं तथा विकेन्द्रित परिस्थितियों का निर्णय करके अपने यथार्थ को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

स्त्री, दलित और जनजाति तीनों ने ही पूरी व्यवस्था के सामने कुछ असहज सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनमें कुछ इन वर्गों की पहचान से जुड़े हैं और कुछ इनकी स्वाधीनता, निर्णय के सम्मान और इनके स्वीकार से सम्बन्धित हैं। इसी सबके चलते पिछले वर्षों में मैंने विचार के स्तर पर अपने को सक्रिय भी अनुभव किया और परेशान भी। मुझे सोचने के लिए नए-नए रास्ते दिखाई दिए हैं।

—भूमिका से

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 120p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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E. Vijaylaxmi

Author: E. Vijaylaxmi

ई. विजयलक्ष्मी

जन्म : 1971, इम्फाल।

प्रकाशित रचनाएँ : ‘समकालीन हिन्दी उपन्यास: समय से साक्षात्कार’, ‘उपन्यासों के सरोकार’, ‘मणिपुर: हिन्दी के विमर्श’ (समीक्षा पुस्तकें); ‘पर्वत के पार’, ‘धरती’, ‘क्षितिज’ (मणिपुरी से हिन्दी में अनूदित कहानियों की पुस्तकें)।

पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर लेखन, दूरदर्शन के लिए कार्य, पूर्वोत्तर में हिन्दी प्रचार तथा पत्रकारिता के लिए कार्य। स्त्री सशक्तीकरण तथा व्यक्तित्व-निर्माण सम्बन्धी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की योजनाओं में सक्रिय भागीदारी। नागरी लिपि परिषद की आजीवन सदस्यता, भारत वसुन्धरा की क्षेत्रीय सचिव।

अनुवाद के लिए महाराष्‍ट्र अनुवाद परिषद ‘तुका म्हाणे साहित्य सम्मान’ से सम्मानित।

सम्प्रति : मणिपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन।

सम्पर्क : मोइराङ्खोम, बोकुलमखोङ्, इम्फाल-795001 (मणिपुर)।

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