Tishnagi-Hard Cover

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मीनू बख़्शी की शायरी का बुनियादी सरोकार दिल और मामलाते-दिल के इज़हार से तअल्लुक़ रखता है। महाकवि ‘मीर’ की तरह वे भी ‘बीमारिए-दिल’ की मारी हुई महसूस होती हैं। यही वजह है कि प्रेम की रागात्मकता उनकी शायरी के आसमान पर बादल बनकर छाई हुई है। उनके यहाँ प्रतिरोध या प्रतिवाद का स्वर सुनाई नहीं देता। एक अदाए-दिलबराना जिसे आप शोख़ी का नाम दे सकते हैं, के साथ समर्पण का भाव उनकी रचनात्मक प्रक्रिया में हर क़दम पर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है यानी प्रेम की बहुआयामी भंगिमाओं को शब्दबद्ध करने में वे कमाल का हुनर रखती हैं। वे अपनी समकालीन स्त्रीवादी (Feminist) कवयित्रियों की तरह अपनी शायरी में चीख़ती-चिल्लाती और ‘क़यामत का-सा हंगामा’ खड़ा करती कहीं दिखाई नहीं देतीं। विशेषतः वे अपनी ग़ज़लों में ज़्यादा गम्भीर हो जाती हैं।

मीनू बख़्शी के यहाँ प्रेम और भक्ति के बीच एक पुल-सा बनता हुआ दिखाई देता है। यानी वे अपनी शायरी में प्रेम की दुनिया से अध्यात्म की दुनिया का भी सफ़र करती हैं जिसके कारण उनकी शेरी फ़ज़ा चन्दन की सुगन्ध और लोबान की ख़ुशबू से भर जाती है।

मीनू बख़्शी रिवायत (tradition) का एहतराम करनेवाली शायरा हैं; लेकिन ऐसा भी नहीं कि उनके यहाँ नवीनता नहीं पाई जाती। उनकी ग़ज़लों, नज़्मों और क़ित्ओं में आधुनिकताबोध भी पाया जाता है, लेकिन मिसरों की संरचना और शब्दों के प्रयोग में वे काव्यशास्त्र के पारम्परिक सिद्धान्तों का ही पालन करती हैं जिसकी वजह से उनकी शायरी क्लासिकी रंग में डूब जाती है।

—ज़फ़र अंसारी ‘ज़फ़र’

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 144p
Price ₹450.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Minu Bakshi

Author: Minu Bakshi

मीनू बख़्शी

जन्म : 8 जुलाई, 1955 को नई दिल्ली में।

शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा सेंट थॉमस स्कूल, दिल्ली से हासिल की। 1973 में मिरांडा हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.एस-सी. किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से स्पेनिश भाषा-साहित्य में 1978 में एम.ए. और 1980 में एम.फ़ि‍ल्. किया। मैड्रिड विश्वविद्यालय, स्पेन से सत्र 1978-80 में स्पेनिश भाषा में डिस्टिंक्शन के साथ उत्तीर्ण हुईं।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्पेनिश विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत रहीं। भारत सरकार के लिए गत पच्चीस वर्षों से स्पेनिश भाषा की इंटरप्रेटर कार्य, विशेष रूप से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए अनुवाद कार्य करती रही हैं।

मीनू बख़्शी को संगीत से भी प्रेम है। बेगम अख़्तर की ग़ज़ल गायकी से प्रभावित होकर हुसैन ख़ाँ और मर्ग़ूब हुसैन ख़ाँ से शास्त्रीय संगीत का ज्ञान अर्जित किया। संगीत के क्षेत्र में भी उनकी काफ़ी शोहरत है।

एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके कार्य सराहनीय हैं। ‘सवेरा एसोसिएशन’ नामक एन.जी.ओ. की उपाध्यक्ष हैं। यह संस्था वर्षों से निर्धन बच्चों की मुफ़्त शिक्षा और आम बेसहारा तथा ग़रीब लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में कार्यरत है।

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