Shayar - Danishavar Firaq Gorakhpuri-Hard Cover

ISBN: 9788180315800
Edition: 2011, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹212.50 Regular Price ₹250.00
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9788180315800
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फ़िराक़ गोरखपुरी बीसवीं शताब्दी के कालजयी शख़्सियत के मालिक हैं, स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर प्रगतिशील आन्दोलन तक जुड़े रहने के कारण एवं अंग्रेज़ी साहित्य के अध्यापक होने के कारण उनकी शायरी में एक नया रंग उभरकर आया जिसे

प्रो. फ़ातमी ने बड़े व्यापक ढंग से प्रस्तुत किया है। उनकी ग़ज़लों, नज़्मों ने प्रगतिवाद एवं मार्क्सवाद पर एक नई बहस छेड़ी है और उनकी सियासी ज़िन्दगी के कुछ नए तथ्य तलाश किए हैं। यह किताब एक नए फ़िराक़ को समझने में सहायक बनती है।

पाठकों द्वारा उर्दू में प्रकाशित इस पुस्तक को बेहद पसन्द किया गया, अब इसका हिन्दी संस्करण प्रस्तुत है जो निःसन्देह पठनीय एवं संग्रहणीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 172p
Price ₹250.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Ali Ahamed Fatmi

Author: Ali Ahamed Fatmi

अली अहमद फ़ातमी

जन्म : जनवरी, 1954; इलाहाबाद में।

शिक्षा : शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में हुई। 1974 में उर्दू साहित्य से इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। अब्दुल हलीम शरर के उपन्यासों पर डी.फ़िल्. की डिग्री प्राप्त की।

तीन वर्ष सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा में पढ़ाने के बाद 1983 से उर्दू विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़ गए और प्रोफ़ेसर रहे। फ़िराक़ गोरखपुरी, अली सरदार जाफ़री, एहतेशाम हुसैन, अकील रिज़वी, क़मर रईस जैसे प्रगतिशील साहित्यकारों से क़रीबी होने के कारण वह शुरू से ही प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गए और आज भी वह एक प्रगतिशील लेखक व आलोचक के तौर पर प्रसिद्ध हैं। प्रो. फ़ातमी ने देश-विदेश के दौरे भी किए। अफ़्रीका, कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी, ताशकन्द आदि के अन्तरराष्ट्रीय सेमिनारों में शिरकत की।

लेखन : नज़ीर, इक़बाल, प्रेमचन्द, फ़िराक़, सरदार जाफ़री आदि पर किताबें प्रकाशित हुईं। इसके अतिरिक्त कई सफ़रनामे व रिपोर्ताज लिखे जो बेहद प्रसिद्ध हुए। कई पत्रिकाओं को सम्पादित भी किया। प्रो. फ़ातमी मुख्यतः उर्दू साहित्य के लेखक व आलोचक हैं पर वह बराबर हिन्दी में भी लिखते रहते हैं। फ़िराक़ गोरखपुरी की शख़्सियत व शायरी को बहुत निकट से देखा और समझा है।

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