Mithila-Hard Back

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9789389243574
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यह मिथिला और कुसुमाकर के अधूरे प्रेम की कहानी है। उनमें भी मिथिला की ज्‍़यादा, कुसुमाकर की कम। एक पारम्परिक, संस्कारी परिवार की संगीत-प्रेमी मिथिला अन्तत: इस संसार से उस प्रेम के बिना ही विदा हो गई जिस प्रेम की प्यास उसकी आत्मा तक भरी हुई थी। संगीत में गहरी रुचि का धनी कुसुमाकर जीवन की आवश्यकताओं के मद्देनज़र पहले उससे दूर चला जाता है, उसे ख्‍़याल भी नहीं आता कि जिस मिथिला को वह अपने ऑटोग्राफ़ देकर चला आया है, वही एक दिन उसके जीवन में लौटेगी। वह लौटी और उसकी अतृप्त रूह का एकमात्र आसरा बन गई, पर तब तक वह किसी और की हो चुकी थी। कोई ऐसा व्यक्ति उसके जीवन का कर्णधार हो गया था जो उसके मन को नहीं समझता था। लेकिन जो उसे आपादमस्तक समझता-जानता था, क्या वह उसका हो सकता था? नहीं। अन्तत: वही हुआ। मृत्यु-शैया पर लेटी हुई मिथिला ने उसे अपना अन्तिम पत्र लिखा, और उसके प्रति अपनी आत्मा में बसे प्यार को स्वीकार करते हुए बताया कि वह जा रही है, उस अज्ञात की ओर जहाँ हो सकता है वे कभी मिलें, या हो सकता है कभी नहीं मिलें। गहरे प्रेम से पगी इस प्रेम-कथा को पढ़ना अधूरी और अतृप्त रूहों से भरे हमारे वर्तमान को एक राहत देता है, और हमें सोचने पर भी विवश करता है।
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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 96P
Price ₹300.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Amrit Tripathi

Author: Amrit Tripathi

अमृत त्रिपाठी

जन्म : 31 मई, 1981

मूल निवासी : रानीखेत, उत्तराखंड; पैतृक गाँव : दैरी, द्वाराहाट।

शिक्षा : केन्द्रीय विद्यालय, रानीखेत से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण कर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानीखेत से बी.एससी. में स्नातक तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से बायोटेक्नोलॉजी में स्नातकोत्तर की उपाधि।

लेखन, गायन तथा विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के विषय में शोध तथा उन्हें बनाने में रुचि।

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