Kahna Hai Kuchh-Hard Back

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मानवीय रिश्तों, भावनाओं, संवेदनाओं और समाज के किन्ही सुने-अनसुने, कहे-अनकहे वह सारे किरदार जो हमारे आसपास ही हैं—कभी बग़ल में रहनेवाले साहनी जी के यहाँ काम करनेवाला माली, कभी गुप्ता जी के यहाँ कामवाली मेड, तो कभी कहीं कॉलेज में पढ़नेवाला युवा वर्ग।

कभी ख़ुशी, कभी ग़म तो कभी धूप, कहीं छाँव के अनगिनत अहसासों के साथ, हर पात्र को, हर किरदार को, चाहे वह 'होम डिलीवरी वाला लड़का' का ज़‍िम्मेदार किशोर हो, ‘इच्छा’ का किशन हो, ‘कसूर’ का निर्दोष माधव हो या 'वो आ रहे है के' मजबूर नेता चाचा जी हों, उन सब को कहना है कुछ...।

तो फिर देर किस बात की है! इन सबसे आप हम सब एक जगह ही मुलाक़ात कर लेते हैं। सुन लेते हैं कि क्या कुछ कहना है इन्हें सरेआम आपसे, हमसे, सबसे...!

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 207p
Price ₹500.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Renu 'Anshul'

Author: Renu 'Anshul'

रेनू 'अंशुल'

जन्म : 22 सितम्बर, आगरा (उ.प्र)।

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी, अर्थशास्त्र) एवं एल.एल.बी.।

कृतियाँ : प्रथम कहानी-संग्रह 'उसके सपनों के रंग'। हिन्‍दी की अनेक महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। ‘दूरदर्शन’ बरेली के कार्यक्रमों का संचालन। आकाशवाणी बरेली, रामपुर, नजीबाबाद व वाराणसी से कई कहानियों व नाट्य झलकी का प्रसारण व साथ-साथ कार्यक्रमों का मंच संचालन। नित-प्रतिदिन के सन्दर्भों से ही प्रेरक कहानियों का सृजन।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन व सामजिक कार्य में संलग्न।

 

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