Guzare Lamhe-Hard Back

Author: Ashok Yadav
ISBN: 9789388933278
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹316.00 Regular Price ₹395.00
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9789388933278
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अशोक यादव की ग़ज़लों में अनायास ही बिम्ब और सार्थक प्रतीकों का प्रयोग हो गया है। वे मुस्कुराते हैं, अपने अर्थ को ध्वनित करते हैं और इशारों में अपनी बात कहते हैं। हम सभी जानते हैं कि ग़ज़ल किसी बात को साफ़-साफ़ कहने का तरीक़ा नहीं है, बल्कि इशारों में अपनी बात कहने का मोहक अन्दाज़ है। इस अन्दाज़ से अशोक जी बख़ूबी परिचित हैं। इसलिए उनकी ग़ज़लों में लक्षणा और व्यंजना का सटीक प्रयोग पाया जाता है।

उनकी ग़ज़लें ज़‍िन्दगी की धूप में पुरवाई का वह शीतल स्पर्श हैं जिससे थके इंसान की थकान मिटती है। मिट्टी की वह सांस्कृतिक सुगन्ध हैं जो सम्पूर्ण वातावरण को अपसंस्कृति के प्रदूषण से बचाती है। आकाश का वह विस्तार हैं जो सबको अपने में समाहित करने का हौसला रखता है और सबके दिलों में पलती हुई उस आग की तरह हैं जो स्नेह और प्रेम से भरे दीपक की लौ में ज्योतित होकर जहाँ अँधेरा है, वहाँ-वहाँ प्रकाश का महोत्सव मनाती हैं और इनसानियत की पहरेदारी करती हैं।    

–कुँअर बेचैन

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 131p
Price ₹395.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Ashok Yadav

Author: Ashok Yadav

अशोक यादव

जन्म : 7 अक्टूबर, 1956

शिक्षा : स्नातक ‘हिन्दी साहित्य’।

प्रकाशन : ‘इक सफ़र ख़्वाबों का ख़यालों का’ (गज़ल-संग्रह); ‘मैं भी गज़ल कहूँ’, ‘तुम्हारे वास्ते’, ‘दो लफ्ज़ मुहब्बत के’, ‘चलते-चलते शाम हुई तो’ (तलत अज़ीज़ की आवाज़ में) (म्यूजि़कल ग़ज़ल एलबम)। गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल क़‍िला के कवि-सम्मेलन सहित देश के अति प्रतिष्ठित मंचों से काव्य-पाठ। कई टेलीविज़न चैनलों पर काव्य-पाठ का प्रसारण एवं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। देश की कई संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए पुरस्कृत।

सम्प्रति : व्यापार, कृषि।

 

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