Bharat : Hamein Kya Sikha Sakta Hai?-Hard Back

Special Price ₹420.75 Regular Price ₹495.00
15% Off
Out of stock
SKU
9789388933896
Share:

भारतीय साहित्य और संस्कृति पर मैक्स मूलर के अगाध ज्ञान को देखते हुए इंग्लैंड की सरकार ने उन्हें 1882 में आई.सी.एस. पास हुए अँग्रेज़ युवकों के प्रशिक्षण के दौरान भारतीय धर्म, साहित्य और संस्कृति पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया, ताकि ये भावी प्रशासक भारत की आत्मा को उचित ढंग से समझ सकें। इस अवसर पर प्रो. मैक्स मूलर ने सात व्याख्यान दिए जिन्हें बाद में पुस्तक के रूप में 1882 में ही प्रकाशित कर दिया गया। यह पुस्तक उसी का अनुवाद है।

इन व्याख्यानों में उन्होंने बताया कि भारतीय समाज को पश्चिम से कमतर समझना भूल है। उन्होंने वेदों और यहाँ के पुराख्यानों की व्याख्या करते हुए बताया कि ये सब हिन्दुओं की जीवन-प्रणाली के प्राण हैं। आज भी उनके ये व्याख्यान भारतीय अस्मिता और प्रज्ञा को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इन व्याख्यानों में वे क्रमश: भारत की भौगोलिक सम्पन्नता, सांस्कृतिक विविधता, चारित्रिक जटिलता और धार्मिकता पर अपने गहन अध्ययन की रोशनी में प्रकाश डालते हैं। वे बताते हैं कि नृतत्त्वशास्त्रियों, भाषाशास्त्रियों, इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों और धार्मिक चिन्तकों के लिए भारत में कितना कुछ है, जिस पर वे काम कर सकते हैं।

एक पूरा व्याख्यान इस शृंखला में उन्होंने सिर्फ़ इस धारणा को निरस्त करने के लिए दिया, जिसके अनुसार भारत के हिन्दू लोगों में सत्य के प्रति सम्मान नहीं है। इस पूर्वाग्रह के विरुद्ध उन्होंने अनेक विद्वानों के मन्तव्य देते हुए और कई ग्रन्‍थों के उदाहरण देते हुए सिद्ध किया कि ऐसा नहीं है। मैक्स मूलर को लेकर एक नकारात्मक विचार उस धारा के साथ भी चलता है, जिसमें मैकाले के अंग्रेज़ी को लेकर किए गए प्रयासों को एक साज़‍िश करार दिया जाता है, तो भी यह जानने के लिए कि मैक्स मूलर स्वयं भारत और भारतीय संस्कृति के बारे में क्या सोचते थे, यह पुस्तक एक अनिवार्य पाठ है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 174p
Price ₹495.00
Translator Suresh Mishra
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Bharat : Hamein Kya Sikha Sakta Hai?-Hard Back
Your Rating
Max Muller

Author: Max Muller

मैक्स मूलर

फ़्रेडरिक मैक्स मूलर का जन्म जर्मनी के डेसाउ नगर में 1823 ईस्वी में हुआ था। उन्होंने 18 वर्ष की आयु में लीपजिग विश्वविद्यालय में संस्कृत का अध्ययन शुरू कर दिया और 1843 में बीस वर्ष की आयु में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने के एक साल बाद ही ‘हितोपदेश’ का जर्मन भाषा में अनुवाद प्रकाशित करा दिया। इसके बाद तो संस्कृत के प्राचीन ग्रन्‍थों के अनुवादों का सिलसिला शुरू हो गया। ‘कठोपनिषद्’ और ‘केनोपनिषद्’ का जर्मन भाषा में अनुवाद करने के बाद उन्होंने ‘मेघदूत’ का जर्मन भाषा में पद्यानुवाद किया।

1846 में मैक्स मूलर लन्दन के इंडिया हाउस में सुरक्षित प्राचीन पांडुलिपियों से अपनी पांडुलिपियों का मिलान करने के लिए आए। वहाँ उन्होंने ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यय पर 1846 में ही ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में सायण भाष्य सहित ‘ऋग्वेद’ का सम्पादन करना प्रारम्भ कर दिया। ‘ऋग्वेद’ के प्रकाशन में उन्हें 27 साल लगे। 1873 में छह खंडों में प्रकाशित उनके ‘ऋग्वेद’ की सभी प्रतियाँ बिक गईं। 1892 में उन्होंने सायण भाष्य सहित ‘ऋग्वेद’ का, लगभग एक-एक हज़ार पृष्ठों के चार खंडों में संशोधित, दूसरा संस्करण प्रकाशित कराया।

1896 के जून महीने में प्रो. मैक्स मूलर के आमंत्रण पर स्वामी विवेकानन्द उनसे मिलने लन्दन से ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय स्थित उनके आवास पर गए थे। उस समय प्रो. मैक्स मूलर की आयु 73 वर्ष की थी। 28 अक्टूबर, सन् 1900 को इस मनीषी का देहान्त इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड में हुआ।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top